आगरा। साल 1999 का ये महीना देश का कोई नागरिक नहीं भूल सकेगा। 26 जुलाई को Vijay Diwas मनाया जाता है। देश के लिए जान न्योछावर करने वाले शहीदों को नमन कर श्रद्धासुमन अर्पित किए जाते हैं।Kargil में शहादत देने वाले सेना के अमर जवानों के लिए आगरावासियों का देश प्रेम अमिट, अजर और अमर है। आज भी देश के लिए जान देने वाले इन शहीदों को आगरावासियों पर गर्व है। ऐसा माना जाता है कि आगरा के शहीदों के बलबूते भारत ने पाकिस्तान को कारगिल में धूल चटा दी।
ये हुए थे शहीद
जब पाकिस्तानियों ने Indian Army पर हमला किया था। उस समय आगरा से कुछ नौजवान अपने गर्म खून के साथ दुश्मन से लोहा लेने के लिए Kargil Yudh के लिए चुने गए थे। इनमें गांव मलपुरा के 17 जाट रेजीमेंट के सिपाही धर्मवीर सिंह भी इस युद्ध में शामिल थे। धर्मवीर ने शादी नहीं की थी। कुछ साल पहले की सेना की JAAT Regiment की 17 जाट में भर्ती हुए थे। खजान सिंह के पुत्र धर्मवीर सिंह ने 30 मई 1999 को शहादत पाई। हासन मुहम्मद 22 ग्रेनेडियर्स के जीडीआर थे। गहर्राकलां निवासी इस अमर जवान ने बड़ी बहादुरी से दुश्मन का मुकाबला किया। 30 जून को इन्होंने शहादत पाई। लांस नायक रामवीर सिंह 17 जाट रेजीमेंट से थे। गांव रिठौरी, खेरागढ़ निवासी लांस नायक ने दुश्मन की गोलियों का जमकर मुकाबला किया। सात जुलाई को दुश्मन से लड़ते लड़ते रामवीर शहीद हो गए।
मिला वीरचक्र मरणोपरांत
जाट रेजीमेंट के हवलदार कुमार सिंह की शहादत पर भी सभी को गर्व है। मरणोपरांत Veer Chakra से सम्मानित किए गए इस बहादुर ने सात जुलाई को वीरगति पाई थी। जाट रेजीमेंट के इस योद्धा की पत्नी बलवीरी को ये सम्मान दिया गया था। जाट रेजीमेंट के नायक श्यामवीर सिंह अकोला के रहने वाले थे और इन्होंने नौ जुलाई को वीरगति पाई। पांच पैरा रेजीमेंट के नायक जितेंद्र सिंह चौहान ने बड़ी बहादुरी से दुश्मन का मुकाबला किया था। आज के दिन यानि 21 जुलाई को इन्होंने बलिदान दिया। फतेहाबाद निवासी इस शहीद की पत्नी सुमन चौहान को आज भी अपनी पति की शहादत पर गर्व है। मोहन सिंह राजपूत पांच पैरा रेजीमेंट में हवलदार थे। इनकी पत्नी ओमवती को सेना मेडल मरणोपरांत प्रदान किया गया था। इनकी शहादत 24 जुलाई, 1999 को हुई।
भारत ने 1999 Kargil Yudh जीता, लेकिन वे हार गए मौत से
13 कुमाऊं रेजीमेंट में सिपाही उदय सिंह दुश्मन की गोलियों से छलनी हुए थे। रैपुराजाट निवासी इस सिपाही ने मौत का डटकर मुकाबला किया था। भारत तो Kargil War जीत गया, लेकिन चार सितंबर को ये सिपाही अपनी जंग हार गया। वहीं 22 ग्रेनेडियर्स के सीक्यूएमएच अमरुद्दीन मैनपुरी के रहने वाले थे। कारगिल युद्ध के इस शहीद ने डटकर मुकाबला किया। इनकी शहादत तीन जुलाई 1999 को हुई थी।