National medical council bill का विरोध करने का पहला प्रमुख कारण है कि अब तक मेडिकल शिक्षा, मेडिकल संस्थानों और डॉक्टरों के रजिस्ट्रेशन से संबंधित काम मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया की जिम्मेदारी थी। बिल के पास होने के बाद अब MBBS पास करने के बाद प्रैक्टिस के लिए एग्जिट टेस्ट देना होगा। अभी एग्जिट टेस्ट सिर्फ विदेश से मेडिकल पढ़कर आने वाले छात्र देते हैं। वहीं, एनएमसी बिल के सेक्शन 32 में 3.5 लाख नॉन मेडिकल शख्स को लाइसेंस देकर सभी प्रकार की दवाइयां लिखने और इलाज करने का कानूनी अधिकार दिया जा रहा है, जिसका डॉक्टर विरोध कर रहे हैं।
indian medical association के अध्यक्ष डॉ. अशोक शिरोमणि ने बताया कि सरकार मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया को भंग करके एनएमसी बिल लेकर आई है, जिसमें अनेक भ्रांतिया हैं। एक तरफ सरकार झोलाछापों के खिलाफ अभियान चलाने की बात करती है, तो वहीं दूसरी ओर नर्सिंग जैसे स्टॉफ को ट्रेंड कर डॉक्टर बनाने की तैयारी की जा रही है। वहीं निजी मेडिकल कॉलेजों में जो 50 फीसद का कोटा लागू कर दिया गया, उससे तो प्राइवेट कॉलेज वाले अपनी और भी मनमानी करेंगे। डॉ. अशोक शिरोमणि ने कहा कि अभी तक ये छोटी सी हड़ताल है। यदि सरकार ने मांग न मानी, तो सुप्रीम कोर्ट जाएंगे।
डॉक्टर ओपी यादव ने बताया कि जिस तरह सरकार National medical council bill को पारित कर थोपना चाहती है, उससे तो साफ जाहिर होता है, कि स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर गंभीरता नहीं है। यदि अंट्रेड चिकित्सक इलाज करेंगे, तो बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं कहां से प्राप्त होंगी। डॉ. अनुराग यादव ने बताया कि प्राइवेट कॉलेजों को बढ़ावा दिया जा रहा है। अभी तक प्राइवेट मेडिकल कॉलेज में मैनेजमेंट कोटे की सिर्फ 15 फीसद सीट होती थीं, अब उन्हें बढ़ाकर 50 फीसद कर दिया गया है। वहीं जब अन्ट्रेड डॉक्टर इलाज करेंगे, तो स्वास्थ्य सेवाओं पर बेहद बुरा असर पड़ेगा।
NMC Bill के विरोध में हुई इस हड़ताल में आईएमए के बैनर तले 2500 चिकित्सकों ने ओपीडी नहीं की। ये हड़ताल एक अगस्त सुबह छह बजे तक जारी रहेगी। डॉ. अशोक शिरोमणि ने बताया कि पूरे देश के डॉक्टर्स हड़ताल पर हैं। हड़ताल के दौरान केवल इमरजेंसी सेवायें ही चालू रहीं। इस दौरान डॉ. अनिल सरीन, डॉ. एमपी सिंह, डॉ. योगेश अग्रवाल, डॉ. राकेश अग्रवाल, डॉ. अनुराग यादव आदि मौजूद रहे।