पर्पल या स्विंग स्टेट्स कितने अलग हैं
स्विंग स्टेट्स ऐसे राज्य हैं, जहां न तो रिपब्लिकन और न ही डेमोक्रेट पार्टी का वर्चस्व है। यहां चुनावी नतीजे हमेशा चौंकाने वाले रहते हैं?, यहां चुनावों के दौरान दोनों पार्टियों के उम्मीदवारों में कांटे की टक्कर रहती है और यह अंदाजा भी नहीं लगाया जा सकता कि यहां ये कौन जीतेगा। अहम बात यह है कि व्हाइट हाउस का रास्ता इन राज्यों से ही हो कर जाता है। चुनाव प्रचार के आखिरी दौर में दोनों पार्टियों के उम्मीदवारों का जोर इन्हीं राज्यों पर अधिक होता है, लेकिन स्विंग स्टेट्स को पर्पल स्टेट का रंग इसलिए दिया गया है क्योंकि नीले और लाल दोनों रंगों को मिला कर पर्पल रंग बनता है। चुनावी लिहाज से इसका अर्थ यह है कि यहां कोई भी जीत सकता है।अमेरिका में स्विंग स्टेटस का महत्व क्यों है ?
अमेरिका के चुनावों में इन राज्यों का ऐतिहासिक महत्व है। हालांकि, चुनाव के दिन लोग अपने पसंदीदा उम्मीदवार का चुनाव करते हैं लेकिन उनके वोट से प्रत्यक्ष रूप से राष्ट्रपति का चुनाव नहीं होता। इसके बजाय वोटर्स इलेक्टोरल कॉलेज का चुनाव करते हैं, जिसमें इलेक्टर्स होते हैं। हर राज्य में इलेक्टर्स की संख्या अमेरिकी सीनेट और प्रतिनिधि सभा में उस पार्टी के प्रतिनिधि की संख्या के समान होती है। उदाहरण के लिए मान लीजिए कि मिशिगन से सीनेट में सांसदों की संख्या 4 है तो उस राज्य में इलेक्टर्स की संख्या भी चार ही होगी, ये इलेक्टर्स सीधे तौर पर अपनी पसंद के उम्मीदवार को वोट करते हैं। कुल 538 इलेक्टोरल कॉलेज में से किसी भी उम्मीदवार को राष्ट्रपति बनने के लिए 270 वोटों की जरूरत होती है। ऐसे में सवाल उठता है कि फिर आम जनता की वोटिंग के क्या कोई मायने नहीं है? दरअसल आम जनता अपने राज्य के इलेक्टर्स का चुनाव करते हैं और बाद में यही इलेक्टर्स आम जनता का प्रतिनिधित्व करते हुए उनकी पसंद के राष्ट्रपति उम्मीदवार को वोट करते हैं। अमेरिकी राजनीति में नीले और लाल रंग का बहुत महत्व है। नीला रंग डेमोक्रेटस और लाल रंग रिपब्लिकन्स को दर्शाता है।स्विंग स्टेट्स में कितने इलेक्टोरल कॉलेज वोट?
पेंसिल्वेनिया – 19जॉर्जिया – 16
नॉर्थ कैरोलिना – 16
मिशिगन – 15
एरिजोना – 11
विस्कॉन्सिन – 10
नेवादा – 6