तुरंत कदम उठाने की ज़रूरत
इस मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र के एक पैनल की रिपोर्ट में हाल ही में कहा गया था कि इस बारे में तुरंत कदम उठाने की ज़रूरत है। पैनल ने कक्षा में सैटेलाइट्स और मलबे का ब्योरा शेयर करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय ढांचे और डेटाबेस बनाने का सुझाव दिया। यूएन ऑफिस फॉर आउटर स्पेस अफेयर्स की निदेशक आरती होला-मैनी ने कहा, “हमें अंतरिक्ष यातायात का समन्वय करना होगा। कक्षा में बढ़ती चीज़ों के बीच टकराव रोकने के लिए सार्वजनिक और निजी ऑपरेटर्स का डेटा शेयर करना बेहद ज़रूरी है।”
काम के उपकरणों के लिए भी खतरा
विशेषज्ञों का कहना है कि निचली कक्षा में वैश्विक संचार, नैविगेशन और वैज्ञानिक खोजों के लिए ज़रूरी उपकरण भी हैं। अंतरिक्ष के मलबे से इन्हें गंभीर नुकसान हो सकता है। यह कक्षा पृथ्वी की सतह से करीब 160 से 2,000 किलोमीटर की ऊंचाई तक फैली है। कक्षा वैज्ञानिक अनुसंधान के लिए अहम है। कक्षा में घूम रहे सैटेलाइट्स में से सबसे ज्यादा एलन मस्क की कंपनी स्टारलिंक के हैं।
हालात नाज़ुक, बनाने होंगे नियम
आने वाले समय में हज़ारों नए सैटेलाइट्स लॉन्च किए जाने की योजना है। मॉन्ट्रियल की संस्था नॉर्थस्टार अर्थ एंड स्पेस के अनुसार कक्षा में संभावित टकराव से अगले पांच साल में 55.6 करोड़ डॉलर का आर्थिक नुकसान हो सकता है। कंपनी के सीईओ स्टीवर्ट बैन ने कहा कि हालात नाज़ुक हैं। ऐसे में सुधार के लिए नियम बनाने होंगे।