दरअसल मुस्लिम धर्म (Islam) के पुरुषों के दाढ़ी और बाल को लाल रंग में रंगने का रिवाज इस धर्म के इतिहास और परंपराओं से जुड़ा हुआ है। जिसमें से एक तो ये कि इस्लाम में पैगंबर मुहम्मद ने सफेद बालों को मेंहदी या अन्य प्राकृतिक रंगों से रंगने की अनुमति दी थी। ऐसा कहा जाता है कि उन्होंने अपने अनुयायियों को कहा था कि वो अपनी सफेद दाढ़ी और बालों को रंगे, ताकि वे जवान दिखें और इसे सुंदरता के प्रतीक के तौर पर अपनाएं।
खुद पैगंबर मोहम्मद ने किया था हिना का इस्तेमाल
सुंदरता के इस प्रतीक को मानने में मेंहदी या हिना (मेहंदी) का इस्तेमाल किया जाने लगा। जो धीरे-धीरे एक लोकप्रिय तरीका बन गया। इसका रंग अक्सर लाल या भूरे रंग का होता है। माना जाता है कि पैंगबर मुहम्मद ने खुद भी बालों को रंगने के लिए मेहंदी का इस्तेमाल किया था। इसलिए मुस्लिम धर्म के लोग इसे अब इस्तेमाल करते हैं।
ब्रह्मचर्य का प्रतीक है दाढ़ी रखना
वहीं एक और मान्यता ये है कि इस्लाम धर्म में दाढ़ी रखना उनके ब्रह्मचर्य का प्रतीक माना जाता है। ये पैगंबर मोहम्मद के अनुयायी होने का भी प्रतीक माना जाता है। हालांकि ये धार्मिक भावना, सम्मान और परंपराओं का प्रतीक है और इसे अलग-अलग मुस्लिम समुदायों में अपनाया गया है, सभी मुस्लिमों को बालों को रंगना अनिवार्य नहीं है।