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यूएन पहुंची झारखंड की बेटी काजल, बाल मजदूरी के खिलाफ वैश्विक नेताओं के सामने क्या कहा, जानिए यहाँ

भारत के झारखंड से कोडरमा की बेटी 20 वर्षीय काजल 21 सितंबर को न्यूयॉर्क में यूएन के मंच पर खड़ी थी। कभी खुद बाल मजदूर रही काजल ने अंतरराष्ट्रीय मंच से वैश्विक नेताओं के सामने बाल मजदूरों की पीड़ा बताई। यूएन पहुंची कोडरमा की बेटी काजल ने बताया कि कैसे बाल श्रम के खिलाफ सबसे बेहतर तरीके से लड़ा जा सकता है।

Sep 23, 2022 / 10:18 am

Swatantra Jain

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भारत के कोडरमा से आने वाली बेटी काजल के लिए 21 सितंबर का दिन यादगार बन गया। काजल न्यूयॉर्क में यूएन के मंच पर खड़ी थी। कभी बाल मजदूरी का दंश झेलनी वाली काजल इस मंच पर वैश्विक नेताओं के सामने बाल मजदूरों की पीड़ा बता रही थी। इस प्रथा के खिलाफ आवाज बुलंद कर रही थी। मौका था संयुक्त राष्ट्र की ओर से आयोजित ट्रांसफॉर्मिंग एजुकेशन समिट का।
शिक्षा की भूमिका सबसे अहम

कोडरमा की बेटी 20 साल की काजल ने गंभीरता से कहा कि बालश्रम और बाल शोषण को खत्म करने के लिए शिक्षा की सबसे महत्‍वपूर्ण भूमिका है। इसलिए बच्‍चों को शिक्षा के अधिक से अधिक अवसर प्रदान करने होंगे और इसके लिए वैश्विक नेताओं को आर्थिक रूप से अधिक प्रयास करने चाहिए।
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बाल विवाह के खिलाफ भी बोलीं काजल

लॉरिएट्स एंड लीडर्स फॉर चिल्‍ड्रेन समिट में नोबेल विजेताओं और वैश्विक नेताओं को संबोधित करते हुए काजल ने बालश्रम, बाल विवाह, बाल शोषण और बच्‍चों की शिक्षा को लेकर अपनी आवाज बुलंद की। काजन ने कहा कि बच्‍चों के उज्‍जवल भविष्‍य के लिए शिक्षा एक चाबी के समान है। इससे ही वे बालश्रम, बाल शोषण, बाल विवाह और गरीबी से बच सकते हैं। इस मौके पर नोबेल शांति पुरस्‍कार से सम्‍मानित लीमा जीबोवी, स्‍वीडन के पूर्व प्रधानमंत्री स्‍टीफन लोवेन और जाने-माने बाल अधिकार कार्यकर्ता केरी कैनेडी समेत कई वैश्विक हस्तियां मौजूद थीं। बताते चलें कि लॉरिएट्स एंड लीडर्स फॉर चिल्‍ड्रेन दुनियाभर में अपनी तरह का इकलौता मंच है, जिसमें नोबेल विजेता और वैश्विक नेता बच्‍चों के मुद्दों को लेकर जुटते हैं। यह मंच नोबेल शांति पुरस्‍कार से सम्‍मानित कैलाश सत्‍यार्थी की देन है।

अभ्रक खदान में करती थी मजदूरी

आज भले ही काजल बाल मित्र ग्राम में बाल पंचायत की अध्‍यक्ष है और एक युवा समाज सुधारक के रूप में काम कर रही है लेकिन वह कभी अभ्रक खदान(माइका माइन) में बाल मजदूर थी। 14 साल की उम्र में ग्राम बाल मित्र ने उसे ढिबरी चुनने के काम से निकालकर स्‍कूल में दाखिला करवाया। इसके बाद से काजल कैलाश सत्‍यार्थी द्वारा स्‍थापित कैलाश सत्‍यार्थी चिल्‍ड्रेन्‍स फाउंडेशन के फ्लैगशिप प्रोग्राम बाल मित्र ग्राम की गतिविधियों में सक्रियता से भाग लेने लगी। झारखंड के कोडरमा जिले के डोमचांच गांव में एक बाल मजदूर के रूप में अपना बचपन खोने वाली काजल ने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा- बालश्रम और बाल विवाह का पूरी दुनिया से समूल उन्‍मूलन बहुत जरूरी है। यह दोनों ही बच्‍चों के जीवन को बर्बाद कर देता है। यह बच्‍चों के कोमल मन और आत्‍मा पर कभी न भूलने वाले जख्‍म देते हैं।
झारखंड के बच्चे पहले भी रख चुके हैं अपनी बात

गौरतलब है कि झारखंड का ही बड़कू मरांडी और चंपा कुमारी भी अंतरराष्‍ट्रीय मंच पर बालश्रम के खिलाफ आवाज उठा चुके हैं। चंपा को इंग्‍लैंड का प्रतिष्ठित डायना अवॉर्ड भी मिला था। यह दोनों ही बच्‍चे पूर्व में बाल मजदूर रह चुके थे।
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वैश्विक नेता करें आर्थिक मदद
कोडरमा के डोमचांच की 20 वर्षीया काजल ने कहा कि बच्चों को शिक्षा के अधिक से अधिक अवसर देने के लिए वैश्विक नेताओं को आर्थिक रूप से प्रयास करना चाहिए। बता दें, काजल कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रन्स फाउंडेशन केफ्लैगशिप प्रोग्राम बाल मित्र ग्राम से जुड़ी। संस्थान की ओर से ही काजल का चयन अमेरिका जाने के लिए हुआ था।

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