अभ्रक खदान में करती थी मजदूरी आज भले ही काजल बाल मित्र ग्राम में बाल पंचायत की अध्यक्ष है और एक युवा समाज सुधारक के रूप में काम कर रही है लेकिन वह कभी अभ्रक खदान(माइका माइन) में बाल मजदूर थी। 14 साल की उम्र में ग्राम बाल मित्र ने उसे ढिबरी चुनने के काम से निकालकर स्कूल में दाखिला करवाया। इसके बाद से काजल कैलाश सत्यार्थी द्वारा स्थापित कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रेन्स फाउंडेशन के फ्लैगशिप प्रोग्राम बाल मित्र ग्राम की गतिविधियों में सक्रियता से भाग लेने लगी। झारखंड के कोडरमा जिले के डोमचांच गांव में एक बाल मजदूर के रूप में अपना बचपन खोने वाली काजल ने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा- बालश्रम और बाल विवाह का पूरी दुनिया से समूल उन्मूलन बहुत जरूरी है। यह दोनों ही बच्चों के जीवन को बर्बाद कर देता है। यह बच्चों के कोमल मन और आत्मा पर कभी न भूलने वाले जख्म देते हैं।
कोडरमा के डोमचांच की 20 वर्षीया काजल ने कहा कि बच्चों को शिक्षा के अधिक से अधिक अवसर देने के लिए वैश्विक नेताओं को आर्थिक रूप से प्रयास करना चाहिए। बता दें, काजल कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रन्स फाउंडेशन केफ्लैगशिप प्रोग्राम बाल मित्र ग्राम से जुड़ी। संस्थान की ओर से ही काजल का चयन अमेरिका जाने के लिए हुआ था।