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पाकिस्तान में नरक से भी बदतर जिंदगी जी रहे हिंदुओं समेत सभी अल्पसंख्यक, पढ़िए रिपोर्ट

Forced conversion of Minority in Pakistan: UN की इस रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान में हर साल हिंदू और ईसाई धर्म के करीब 1000-1000 लोगों का जबरन धर्म परिवर्तन कराया जाता है। जिसमें खासतौर पर उनकी बहन बेटिय़ों को निशाना बनाया जाता है।

नई दिल्लीJun 19, 2024 / 04:13 pm

Jyoti Sharma

Forced conversion of Minority in Pakistan

Forced conversion of Minority in Pakistan

Forced conversion of Minority in Pakistan: कश्मीरियों के मानवाधिकार की बात करने वाले पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की जिंदगी नरक से भी बदतर हो रही है। लेकिन पाकिस्तान (Pakistan) की सरकार को इस बात का जरा भी भान नहीं कि उनके खुद के मुल्क किस तरह मानवाधिकार को रौंदा जा रहा है। संयुक्त राष्ट्र (United Nations) की रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान में धड़ल्ले से अल्पसंख्यकों के जबरन धर्म परिवर्तन का काला कारनामा किया जा रहा है। जिसमें हिंदुओं का ही नहीं बल्कि ईसाईयों का भी बुरा हाल है। रिपोर्ट के मुताबिक भारत विभाजन (Partition of India) के वक्त पाकिस्तान में 20 प्रतिशत आबादी गैर-मुस्लिम थी। जिसमें हिंदू और ईसाई शामिल थे। आज पाकिस्तान की 220 मिलियन की आबादी में ये घटकर सिर्फ 3.5% रह गए हैं। जिसमें से हिंदू 2 प्रतिशत (Hindus In Pakistan) तो वहीं ईसाई सिर्फ कुल जनसंख्या का 1.27% हैं। पाकिस्तान में ये धर्म परिवर्तन आज से नहीं बल्कि विभाजन के वक्त से ही हो रहा है। रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान में हर साल हिंदू और ईसाई धर्म के करीब 1000-1000 लोगों का जबरन धर्म परिवर्तन कराया जाता है। जिसमें खासतौर पर उनकी बहन बेटिय़ों को निशाना बनाया जाता है। 

रिपोर्ट पर आज तक पाकिस्तानी सरकार का कोई जवाब नहीं

गौर करने वाली बात ये है कि पाकिस्तान सरकार की तरफ से इस रिपोर्ट पर कोई जवाब नहीं दिया जाता, ना अब तक दिया गया है। स्थानीय और विदेशी मानवाधिकार समूहों का कहना है कि पाकिस्तान में हिंदुओं और ईसाइयों सहित अल्पसंख्यक धर्मों की युवा महिलाओं का जबरन धर्म परिवर्तन और विवाह एक बढ़ती समस्या है। (Forced conversion of Minority in Pakistan) इसमें अपराधी कानूनी कार्रवाई से बच जाते हैं क्योंकि जबरन धर्मांतरण को अक्सर अदालतों में एक धार्मिक मुद्दे के तौर पर ले जाया जाता है। उनके वकील तर्क देते हैं कि लड़कियों ने स्वेच्छा से इस्लाम कबूल कर लिया है। पाकिस्तान में हर साल ऐसे हजारों मामले आते हैं जिसमें ज्यादातर पीड़ित गरीब परिवारों और निचली जातियों से होते हैं। 

सरेराह किडनैपिंग, घरों में घुसकर उठा ले जाते

रिपोर्ट के मुताबिक हिंदू और ईसाई लड़कियों का पाकिस्तान की बहुसंख्यक आबादी के लोग किडनैप कर लेते हैं और फिर इन्हें मार-पीट कर मुस्लिम धर्म के लड़के से निकाह करने को कहा जाता है। इसमें ज्यादातर मामले ऐसे हैं जिनमें अपहरणकर्ता से ही लड़कियों का निकाह करा दिया जाता है, जिसके बाद जबरन धर्म परिवर्तन का दर्द इन्हें झेलना होता है। कई संगठनों का कहना है कि हालात इतने बुरे हैं कि इन छोटे परिवारों की लड़कियों का अपहरण छोड़िए..इनके घरों में घुसकर इन्हें उठा लिया जाता है और कुछ नहीं कर पाता। ज्यादातर मामले पाकिस्तान के दक्षिणी सिंध प्रांत से आते हैं। यहां पर लगभग 90 प्रतिशत अल्पसंख्यक समुदाय रहते हैं।

लगातार अल्पसंख्यकों पर हमला

बता दें कि कि बीते महीने पाकिस्तान में ईसाइयों के ख़िलाफ़ भीड़ का एक और हिंसक हमला हुआ था। एक मौलवी के कुरान का अपमान करने का झूठा आरोप लगाने के बाद सैकड़ों मुस्लिम चरमपंथियों ने एक बुजुर्ग ईसाई मोची, नज़ीर मसीह गिल की हत्या कर दी। इसका वीडियो भी काफी सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था। इस मामले की जांच में पता चला था कि इस भीड़ में करीब 400 लोग थे, जिन्होंने पंजाब प्रांत के सरगोधा शहर में मुजाहिद ईसाई कॉलोनी पर हमला किया था। भीड़ ने ईसाईयों के घरों पर तोड़फोड़ की थी, उन्हें आग के हवाले तक किया गया  साथ ही चर्चों में भी तोड़फोड़ और आगजनी की थी। इतने बड़े मामले पर पाकिस्तान की सरकार ने मामले की जांच का वादा कर खानापूर्ति कर ली थी। 

27 मार्च 2016 

लाहौर में ईस्टर मना रहे ईसाई परिवारों को पाकिस्तानी तालिबान की शाखा जमात-उल-अहरार के आत्मघाती हमलावरों ने निशाना बनाया था। बमबारी में 24 निर्दोष बच्चों सहित 73 लोगों की जान चली गई, आतंकवादियों ने अपनी मांगों को मनवाने के लिए ईसाइयों को अपना आसान टारगेट बनाया कि अफगानिस्तान में कबायली इलाकों में तालिबान के खिलाफ पाकिस्तानी सैन्य कार्रवाई रोक दी जानी चाहिए। इस हमले से एक साल पहले लाहौर के युहानाबाद इलाके में चर्चों पर दोहरे आत्मघाती बम विस्फोट हुए थे, जिसमें लगभग 15 लोग मारे गए थे। पाकिस्तानी ईसाई अमेरिका, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया में भागने के लिए मजबूर हैं।

10 अगस्त 2023 को

पंजाब के जरानवाला में दस ईसाई पुरुषों पर कुरान का अपमान करने का आरोप लगा था। तब मुस्लिम भीड़ ने वहां चार चर्चों और कई घरों पर हमला कर दिया। भीड़ का नेतृत्व मुस्लिम मौलवियों ने किया था और इसमें इस्लामी चरमपंथी पार्टी तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान के सदस्य भी शामिल थे। कुख्यात ईशनिंदा कानून का इस्तेमाल अल्पसंख्यकों पर किया जाता रहा है। जिसमें ईसाई और हिंदू धर्म के लोग शामिल हैं। 

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