अटार्नी जनरल ने की डिमांड
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक बांग्लादेश के अटार्नी जनरल मोहम्मद असदुज्जमां ने जस्टिस फराह महबूब और देबाशीष रॉय चौधरी के समक्ष बांग्लादेश के संविधान में संसोधन करने की मांग की है। जनरल मोहम्मद ने डिमांड की है कि संविधान के अनुच्छेद -2A में कहा गया है कि राज्य सभी धर्मों का पालन करने में समानाधिकार और समानता को सुनिश्चित करेगा लेकिन वहीं अनुच्छेद 9 बंगाली राष्ट्रवाद को बताता है। इन दोनों ही बातों में स्थिति स्पष्ट नहीं है। एक जगह सभी धर्मों में समानता की बात कही गई है और दूसरी जगह बंगाली को राष्ट्रवाद बताया गया है।
‘मुजीबुर्रहमान को राष्ट्रपिता का दर्जा कभी नहीं’
अटार्नी जनरल ने दस्तावेज पेश करते हुए कहा कि बांग्लादेश में मुसलमानों की संख्या 90 प्रतिशत से ज्यादा हो गई है, इसलिए संविधान से अब ‘धर्मनिरपेक्ष’ शब्द हटा देना चाहिए। यानी अगर अटार्नी जनरल की ये मांग ली जाती है तो बांग्लादेश को मुस्लिम देश घोषित कर देगा। सिर्फ इतना ही नहीं अटार्नी जनरल ने पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के पिता और बांग्लादेश की स्थापना में मुख्य किरदार निभाने वाले और पहले राष्ट्रपति शेख मुजीबुर्रहमान को बांग्लादेश के राष्ट्रपिता का दर्जा देने वाले प्रस्ताव का भी विरोध किया है। उन्होंने कहा है कि ये फैसला मुल्क को बांटने का काम कर सकताव है। इसलिए वो इसका विरोध करते हैं।