scriptबोलती आँखों से था स्मिता का जादू | Smita Patil spoke with her eyes | Patrika News
वर्क एंड लाईफ

बोलती आँखों से था स्मिता का जादू

स्त्री हर स्मृति में ठहरी होती है, जैसे कि हर पल की धड़ाधड़ी को करीब से महसूस करती हुई।

Oct 21, 2017 / 11:58 pm

जमील खान

Smita Patil

Smita Patil

एक चेहरा जो बेहद सादा है पर कशिश इतनी कि आँखें उस पर ठिठक कर रह जाएंँ। गोरे रंग से इतर सांवले का सम्मोहन, जिसके लिए भारतीय स्त्री को जाना जाता है,उसकी बेमिसाल मिसाल हैं स्मिता। ‘साड़ी में लिपटा श्याम ज्यों’ , तो इस छब में स्मिता सा कोई ओर नज़र नहीं आता। उसकी उन आँखों की मुरीद हूँ जिसकी आँखों में मानों सात समंदर ठहरे हैं।
स्त्री हर स्मृति में ठहरी होती है, जैसे कि हर पल की धड़ाधड़ी को करीब से महसूस करती हुई। जिन लम्हों, छुअनों का अन्य के लिए कोई मोल नहीं, उसे भी यह अन्या जी भर सहेजती है। एक मुस्कराहट, एक तल्खी, और जज़्बातों की गर्माहट को उससे बेहतर कोई ओर अपनी सांसों में व्याख्यायित नहीं कर सकता। उसकी आँखों का सावन तो जाने कितने युकलेप्टिस पीते हैं।
इसी संजीदगी और स्त्री के स्त्री होने को सेल्यूलाइड पर स्मिता जी भर जीती नजर आती है। श्याम बेनेगल की ‘चरण दास चोर’ से आरंभ हुई यह यात्रा कई खूबसूरत मोड़ों से होकर गुजरती है। मंथन, बाज़ार, भीगी पलकें, भूमिका, चक्र, मंडी, आक्रोश, अर्द्धसत्य, रावण और मेरी प्रिय, ‘आखिर क्यों’ इन सभी फिल्मों की स्मृति, किरदारों के नाम सहित ज़ेहन में जीवंत है। टेलीफिल्म सद्गति में भी उनका अभिनय कहाँ भूलाए भूलता है। कुछ ना कह कर भी सब कह देने वाली बोलती आँखों के खिंचाव को आज भी उतनी ही शिद्दत से महसूस किया जा सकता है ।
अमूल का विज्ञापन इस खास चेहरे के कारण ही जाने कब से मेरे लिए खास हो गया था। अनेक किरदार हैं जिनमें से एक है आखिर क्यों की निशा शर्मा। यहाँ स्त्री की कोमलता में छिपी सशक्तता को वे इतनी सादगी और सहजता से बयां कर देती है कि ‘कोमल है कमजोर नहीं’ पंक्तियाँ मन पर अमिट हो जाती हैं। जाने कितने-कितने किरदार हैं जिन्हें देख लगता है कि इसे केवल स्मिता ही निभा सकती थीं ..।
समानान्तर फिल्मों में जिस संजीदगी, गांभीर्य, सशक्त अभिनय और नैसर्गिक सौंदर्य की आवश्यकता हुआ करती हैं , वे सभी खूबियां स्मिता में देखी जा सकती हैं । स्मिता का जादू इस तरह है कि अब इस दौर में नंदिता में भी स्मिता की तलाश होने लगती है, हालांकि यह तुलना ठीक नहीं । यह जीवन इन पंक्तियों की तरह ही रहा कि दिलों पर राज तो किया पर मुहब्बत को तरस गए.. सादगी में लिपटी उन प्रश्निल आँखों का सौन्दर्य वाकई एक दिलकश कशिश का अजस्र सोता है। यूँही कहाँ कोई आखिर दिल के करीब हुआ करता है।
डॉ विमलेश शर्मा


– फेसबुक पेज से साभार

Hindi News / Work & Life / बोलती आँखों से था स्मिता का जादू

ट्रेंडिंग वीडियो