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पति का ताना ‘तुम घर के लिए कुछ नहीं करती’, पढ़िए…पत्नी ने क्या किया

शादी के लिए नौकरीपेशा लड़की की खोज प्राथमिकता बन गई है। लड़का ही नहीं, बल्कि सास—ससुर को भी ऐसी बहू चाहिए, जो घर में कमा कर लाएं। इस सोच में कोई बुराई भी नहीं है, जिस तरह से जीवन स्तर में बदलाव आए हैं, उसे देखते हुए पति—पत्नी का कमाना जरूरी भी हो गया है। लेकिन उस पितृसत्तात्मक मानसिकता का क्या करें, जिसने लैंगिक भूमिकाएं थोप दी है कि घरेलू काम सिर्फ महिलाओं के जिम्मे ही हैं।

Jun 16, 2023 / 04:14 pm

Jaya Sharma

Woman Goes On Cleaning Strike

पति का ताना ‘तुम घर के लिए कुछ नहीं करती’, पढ़िए…पत्नी ने क्या किया

सुबह जल्दी बच्चों को स्कूल भेजने से लेकर रात में रसोई की साफ—सफाई करने तक, एक महिला दिन— भर में बिना रुके ढेरों काम करती हैं। फिर यदि वह वर्किंग हो, तो उस पर दोहरी जिम्मेदारी आ जाती है। ऐसे में यदि उसका पति उसे ये बोले कि तुम घर पर बिल्कुल भी काम नहीं करती, तो उस पर क्या गुजरेगी। पति या सास—ससुर के ये ताने सिर्फ भारत में ही नहीं सुनने को मिलते हैं, बल्कि विदेशों की स्थिति भी यही है।
यूएस का एक टिकटॉक वीडियो इन दिनों खूब वायरल हो रहा है। 33 वर्षीय डोनली ने अपने पति के ताने के बाद घर का काम करना बंद कर दिया और लम्बे वीकएंड पर चली गई। डोनली ने काम के हड़ताल के बाद का वीडियो बनाया। इस वीडियों में पूरा घर बिखरा हुआ था, बिस्तर और बर्तन साफ नहीं थे, सोफे पर कपड़ों का ढेर लगा हुआ था और बाथरूम के फर्श पर गंदे बर्तन, खिलौनें और तौलिए बिखरे हुए थे। उनके पति ब्रेन को इस बात का अहसास हो गया कि घर को संभालने में उनकी पत्नी की कितनी अहम भूमिका है। उनके घर का यह वीडियो तेजी से वायरल हुआ और करोड़ों लोगों ने देखा। बाद में ब्रेन ने अपनी पत्नी से माफी मांगी।
डोनली ने याद किया कि एक रात जब वह बच्चों को सोने के लिए तैयार कर रही थी, तो ब्रेन क्रोधित था, और उसने उसके बारे में टिप्पणी की कि वह घर के लिए कुछ नहीं कर रही है। इसके बारे में लड़ने के बजाय डोनली ने अलग अंदाज में अपनी बात को साबित किया और हड़ताल पर चली गई। हालांकि इस जोड़े ने इस बात को बहुत अच्छे से सुलझा लिया।

अब बात करते हैं भारतीय समाज की
अक्सर भारतीय परिवारों में इस तरह के इश्यूज सामने आते हैं कि नौकरीपेशा बहू घर की देखभाल सही तरीके से नहीं करती। सास—ससुर, बच्चों व पति का ध्यान अच्छे से नहीं रखती। सभ्य समाज में भी कामकाजी महिलाओं को लेकर इसी तरह की सोच हैं कि वह घर से ज्यादा आॅफिस को प्राथमिकता देती है। यह बात सही है कि भारतीय समाज में महिलाओं की प्राथमिक भूमिका घरेलू कामकाज और बच्चों की देखभाल करना माना जाता रहा है। यदि वह गृहिणी हैं, तो पूरी तरह से घर के कामों के लिए समर्पित हैं। ऐसे में समाज को घर के कामों में महिलाओं के अद्वितीय योगदान को स्वीकार करना चाहिए, न सिर्फ उनका सहायक बनना चाहिए, बल्कि आभार भी जताना चाहिए।
महिला ही घर को घर बनाती हैं
बचपन से ही हमें यह सिखाया जाता है कि महिला नौकरीपेशा हो या गृहिणी, घर की जिम्मेदारी उसी की है। यदि महिलाएं घरों को नहीं संभालेंगी तो डोनली के वीडियो की तरह हमारे अधिकांश घर वार—जोन में बदल जाएंगे। हम देखते हैं कि जब एक महिला एक दिन से अधिक समय तक बाहर रहती हैं तो खाना—बनाने से लेकर साफ—सफाई तक के कामों में कितनी परेशानी होती है। पितृसत्ता ने समाज में लैंगिक भूमिकाएं थोप दी हैं। महिलाएं बिना किसी वेतन और ब्रेक लिए बिना लगातार काम करती रहती हैं। अब समय आ गया है कि पितृसत्तात्मक मानसिकता से बाहर निकलें। महिलाओं के हर एक मिनट के योगदान को पहचानें। महिलाएं समर्थन, समझ और समान योगदान के अलावा कुछ भी अपेक्षा नहीं करतीं। हमें उनका समर्थन शुरू करना चाहिए और आलोचना करने के बजाय घरेलू कामों में समान रूप से योगदान देना चाहिए।

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