जिन लक्षणों की सबसे ज्यादा शिकायत रही, उनमें थकान, थोड़ी सी भी मेहनत के बाद थक जाना (जिसे पोस्ट-एक्सरेशनल मलैज कहते हैं), और चक्कर आना शामिल हैं।
शोधकर्ताओं ने पाया कि मोटापे से ग्रस्त गर्भवती महिलाओं (Pregnant Women) , डिप्रेशन या क्रोनिक चिंता से जूझ रही महिलाओं, और आर्थिक परेशानी का सामना कर रही महिलाओं में लॉन्ग कोविड का खतरा ज्यादा था। जिन महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान कोविड गंभीर रूप से हुआ था और उन्हें ऑक्सीजन की जरूरत पड़ी थी, उनमें भी यह खतरा ज्यादा पाया गया।
अध्ययन के मुख्य लेखक डॉ. टॉरी डी. मेट्ज़ का कहना है, “गर्भवती महिलाओं (Pregnant Women) का इलाज करने वाले डॉक्टरों के लिए यह महत्वपूर्ण जानकारी है कि कोविड से संक्रमित होने के छह महीने बाद भी हर 10 में से लगभग 1 महिला में लक्षण बने रहते हैं। यह भी सामने आया कि गर्भावस्था के किस तिमाही में संक्रमण हुआ, इसका लॉन्ग कोविड से कोई संबंध नहीं था।”
अध्ययन से और क्या पता चला?
डॉ. मेट्ज़ का कहना है कि “इसके कई कारण हो सकते हैं, जिन पर भविष्य में शोध की जरूरत है।”
अगला कदम क्या है?
ध्यान दें: यह शोध अभी अंतिम रूप नहीं लिया गया है और इसे अभी और जांच की जरूरत है।