भगवान शिव के पांच रूप हैं और इनमें से एक है अघोरी। ऐसे में अघोरियों को धरती पर शिव के जीवित रूप की मान्यता प्रदान की गई है। अघोरियों का अपना एक समुदाय होता है जिसका बाकी की दुनिया से कोई संबंध नहीं होता है।
अघोर उसे कहते हैं जो इंसान सहज, सरल और अबोध अवस्था में होता है, जिस पर दुनियादारी का कोई प्रभाव नहीं है। वे एक शिशु के समान पवित्र होते हैं।
बाहर से देखने पर वे बड़े रूखे स्वभाव के प्रतीत होते हैं, लेकिन उनका दिल बहुत कोमल होता है। उनमें जन कल्याण की भावना कूट-कूटकर भरी होती है। उनकी दृष्टि में सभी समान होते हैं, वे किसी के प्रति भेदभाव की भावना को नहीं अपनाते हैं।
हालांकि उनका क्रोध बहुत ही भयंकर होता है। यदि वे किसी से नाराज हो जाते हैं तो उस इंसान की जिंदगी का विनाश होने से कोई रोक नहीं सकता है। इसके विपरीत जब वे किसी से खुश होकर उसे आशीर्वाद देते हैं तो इसका बहुत ही शुभ फल मिलता है।
अघोरियों के रहस्यमयी जीवन को जानने की उत्सुकता हमेशा लोगों में रहती है, लेकिन उन्हें खुलकर बात करना उतना पसंद नहीं होता है। वे समाज से दूर रहकर अपनी साधना में मग्न रहते हैं। इनके बारे में ऐसा कहा जाता है कि इन्हें भगवान शिव के साक्षात दर्शन प्राप्त होते हैं।