दरअसल, भगवान कृष्ण और राधा रानी के प्रेम के चलते यहां के लोग इस परंपरा को निभाते आ रहे हैं। बरसाना के निवासियों का ऐसा मानना है कि श्रीकृष्ण के अलावा यहां का दामाद कोई और नहीं हो सकता और ठीक इसी तरह नंदगाव की बहू भी सिर्फ राधा रानी ही रहेंगी।
यानि कि साफ शब्दों में कहे तो नंदगांव और बरसाना के लोग राधा-कृष्ण के प्रेम को संजोए रखने के लिए ऐसा करते आ रहे हैं। गांववासियों का ऐसा मानना है कि अगर दोनों गांव में आपस में वैवाहिक संबंध जुड़ने लगे तो राधा-कृष्ण का प्रेम धूमिल पड़ जाएगा।
कहा जाता है कि बरसाना के बड़े-बुजुर्ग नंदगांव को राधा रानी का ससुराल मानते हुए वहां का पानी तक नहीं पीते हैं और बरसाना में नंदगांव से आए किसी भी व्यक्ति को खाली हाथ विदा नहीं किया जाता है।
पिछले पांच हजार साल से नंदगांव और बरसाना के बीच कोई भी शादी नहीं हुई है, लेकिन दोनों ही ससुराल की रस्म को भली-भांति निभाते हैं। नंदगांव के युवाओं का ऐसा मानना है कि बरसाना ही उनका ससुराल है।