हम यहां मध्यप्रदेश के रायसेन जिले के गुढ़ावल गांव में स्थित काली मां के प्राचीन मंदिर के बारे में बात कर रहे हैं। मां कंकाली के नाम से मशहूर इस मंदिर में दूर-दूर से लोग दर्शन करने के लिए आते हैं। यहां आने वाले सभी भक्तों के कष्ट दूर होते हैं।
इस काली मंदिर के बारे में एक बात प्रचलित है कि साल में एक बार यहां स्थापित मां काली की प्रतिमा अपने आप सीधी हो जाती है। देवी मां के इस रूप के दर्शन के लिए देश के कोने-कोने से श्रद्धालु आते हैं।
मंदिर में स्थापित देवी मां की प्रतिमा की गर्दन टेढ़ी है, लेकिन स्थानीय लोगों के मुताबिक दशहरे के दिन मां काली की झुकी हुई गर्दन कुछ पलों के लिए अपने आप सीधी हो जाती है। मान्यता है कि जो भी भक्त मां के इस रूप के दर्शन कर लेता है उसकी जिंदगी में मौजूद परेशानियां दूर हो जाती है। इस मंदिर में मां काली की 20 भुजाओं वाली प्रतिमा है। मंदिर में देवी मां के साथ ब्रह्मा, विष्णु और महेश भी विराजमान हैं। दशहरे के दिन यहां मेले का आयोजन होता है।
चैत्र नवरात्र में नवमी के दिन मंदिर में विशाल भंडारा किया जाता है। मंदिर के बारे में एक और बात प्रसिद्ध है कि यहां जो भी निसंतान दंपत्ति अपने उल्टे हाथ का छाप छोड़ते हैं उनकी औलाद की कामना जल्द ही पूरी होती है। बताया जाता है कि जिन लोगों की संतान प्राप्ति की कामना पूरी होती है वो बाद में यहां दोबारा दर्शन के लिए आते हैं और मंदिर में अपने सीधे हाथ की छाप लगाते हैं।