इस आदमी को मिला ‘दुनिया की बेस्ट मां’ का अवार्ड, अनाथ के लिए छोड़ दी थी लाखों की नौकरी
रूद्रप्रयाग (Rudraprayag)- उत्तराखंड के क्वीली, कुरझण और जौंदली गांव में तकरीबन 150 सालों से होली नहीं मनाई गई। यह गांव रूद्रप्रयाग जिले में आते हैं। यहां लोग होली का त्योहार नहीं मनाते हैं।इसके पिछे की मान्यता यह है कि इस गांव की इष्टदेवी मां त्रिपुर सुंदरी देवी हैं। कहा जाता है कि मां को हुड़दंग पसंद नहीं है। ऐसे में होली पर तो मस्ती होती ही है तो लोगों ने होली खेलनी बंद कर दी।CoronaVirus की दहशत: जब टॉयलेट पेपर के लिए भिड़ गई औरतें, एक दूसरे के बाल पकड़ कर की पिटाई
बुंदेलखंड: बुंदेलखंड के सागर जिले के हथखोह गांव के लोग होली नहीं मनाते हैं। इतना ही नहीं गांव के लोग होलिका का दहन भी नहीं करते हैं। इस गांव के रहने वाले रमेश सिंह बताते हैं कि सालों पहले देवी ने साक्षात दर्शन दिए थे और लोगों से होली न जलाने को कहा था। तभी से यह परंपरा चली आ रही है।