घर ओर प्रतिष्ठनों पर लगाते हैं चित्र
चित्तौड़गढ़ में दशानन के भक्त अपने घर और प्रतिष्ठानों पर भी रावण के चित्र लगाए हैं। हर साल दशहरे पर रावण का विशेष पूजा अर्चना करते है। यहां के लोग रावण को सतयुग से ही बुराई का प्रतीक माने आए है। दशहरे पर देश एवं विदेश में रावण के पुतलों का दहन किया जाता है और साथ ही बुराई को छोड़ने का प्रण लिया जाता है। सतयुग से ही रावण को बुराइयों के लिए जाना जाता है। लेकिन प्रकांड पंडित और शिव भक्त के रूप में भी रावण को जाना जाता है।
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रावण की देख आश्चर्यचकित
यहां कुछ लोग हैं जो बहुत लंबे समय से रावण की पूजा करते आए है। इनके दिन की शुरुआत की रावण पूजा से होती है। घर के बाद प्रतिष्ठान पर भी रावण की पूजा करते हैं। शहर निवासी वस्त्र व्यवसायी हीरालाल वर्ष 2001 से ही रावण की पूजा कर रहे हैं। इनके बाद शहर में अन्य लोग भी रावण की पूजा करने लगे। निवासी हरीश मेनारिया का कहना है कि वे भी रावण को पूजते आए है, जो भी लोग इनके यहां आते हैं वह रावण की आराधना करते देख आश्चर्यचकित हो जाते हैं। इनकी नजर में रावण का चरित्र उत्तम था और वह सभी के लिए अनुकरणीय है।
रावण के लिए रखते हैं उपवास
स्थानीय लोगों का कहना है कि रावण भक्तों के लिए दशहरा किसी त्योहार से कम नहीं है। इस दिन भक्त रावण के लिए उपवास रखते हैं। रावण को जलाना इन्हें कतई अच्छा नहीं लगता। रावण पूजन और नमस्कार के स्थान पर सभी से जय लंकेश कहने के कारण इनकी पहचान भी अब लंकेश के रूप में है।