बता दें कि, जनकपुर प्राचीन मिथिला राज्य की राजधानी थी। यह वही पवन स्थान है, जिसका ज़िक्र धर्मग्रंथों, और रामायण में है। यहां पर स्थापित मंदिर पूरी तरह सीता माता को समर्पित है। नौलखा मंदिर के नाम से जाना जाने वाला यह मंदिर टीकमगढ़ की महारानी वृषभानु कुंअरि जी द्वारा 1967 में करवाया गया था। मंदिर दूर से देखने में किसी महल जैसा लगता है। कहा जाता है कि जनकपुर में ही वैशाख शुक्ल नवमी को मां जानकी का अवतार हुआ था। इस अवसर को जानकी नवमी के रूप में मनाया जाता है। जनकपुर का दूसरा प्रमुख त्योहार विवाह पंचमी का है। इसी दिन सीता जी का भगवान रामचंद्र जी से विवाह हुआ था। इस दिन मंदिर को दुल्हन की तरह सजाया जाता है। जानकी मंदिर में पिछले कुछ सालों से अखंड सीताराम का जाप किया जाता है।