रूस (Russia) में जूनिलन कैलेंडर के अनुसार 17 जून 1908 को सुबह लगभग 07:17 बजे लोगों ने आकाश में चारों ओर घूमता हुआ एक चमकीला प्रकाश देखा था। जो अचानक पास आते ही एक आग के गोले में बदल गया। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक ये आग का गोला पूर्व से उत्तर की ओर चला गया। इसकी गति और आवाज इतनी तेज थी जैसे कोई भूकंप।
इस कंपन का असर जर्मनी, डेनमार्क, क्रोएशिया, यूनाइटेड किंगडम में भी देखने को मिला। रिक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 5 पाइंट मापी गई जो प्रभावशाली भूकंप के समान थी। बताया जाता है कि इस भयंकर विस्फोट से धूल का इतना बड़ा गुब्बार निकला कि एशिया और यूरोप में पूरा आसमान ढक गया। कई दिनों तक यहां सूरज की रौशनी तक दिखाई नहीं दी। वैज्ञानिकों ने बताया कि उल्कापिंड जिस जगह गिरा वहां बड़े पैमाने पर पेड़ उखड़ गए। साथ ही वो हिस्सा हमेशा के लिए बजंर हो गया। यहां आज तक कोई पेड़ पौधा नहीं निकला है। उल्कापिंड की आग से धरती के उस हिस्से को काफी नुकसान पहुंचा है।