न्यूजीलैंड के वैज्ञानिकों ने नए महाद्वीप का टेक्टोनिक और बैथीमेट्रिक नक्शा तैयार किया है। ताकि इसकी भूकंपीय गतिविधियों और समुद्री जानकारियों के बारे में पता किया जा सके। जीएनएल साइंस के जियोलॉजिस्ट निक मोरटाइमर ने कहा कि ये एक बड़ी वैज्ञानिक उपलब्धि हैं। निक मोरटाइमर ने बताया कि आठवें महाद्वीप का कॉन्सेप्ट 1995 में आया था। लेकिन इसे खोजने में 2017 तक समय लगा और फिर इसे खोए हुए आठवें महाद्वीप की मान्यता दी गई।
जीलैंडिया, प्रशांत महासागर के अंदर 3800 फीट की गहराई में मौजूद है। नए नक्शे से पता चला है कि जीलैंडिया में बेहद ऊंची-नीची जमीन है। कहीं बेहद ऊंचे पहाड़ हैं तो कहीं बेहद गहरी घाटियां। ‘जीलैंडिया’ 50 लाख वर्ग किलोमीटर में फैला है। यानी यह भारत के क्षेत्रफल से करीब 17 लाख वर्ग किलोमीटर बड़ा है। भारत का क्षेत्रफल 32.87 लाख वर्ग किलोमीटर है। वैज्ञानिकों का कहना है कि जीलैंडिया सुपरकॉन्टीनेंट गोंडवाना लैंड से 7.90 करोड़ साल पहले टूटा था।
जीलैंडिया का पूरा हिस्सा समुद्र के अंदर है, लेकिन लॉर्ड होवे आइलैंड के पास बॉल्स पिरामिड नाम की चट्टान समुद्र से बाहर निकली हुई है। इसी जगह से पता चलता है कि समुद्र के नीचे एक और महाद्वीप है। महाद्वीप का 94 फीसदी हिस्सा पानी में डूबा हुआ है।