क्या है वजह?
दरअसल जीसस क्राइस्ट की मौत का टाइम दिन में 3 बजे का है। दिन में 3 बजे उनकी मौत को शुभ समय माना गया है। लेकिन इसके ठीक उल्टा यानी रात 3 से 4 बजे के बीच का वक्त को अशुभ माना गया है। ऐसा कहा जाता है कि इस समय शैतान की ताकत चरम पर होती है और इंसान बेहद कमजोर।
यह भी पढ़ें – गजब का गमला! अब पौधे का मूड बताएगा और रखेगा उसका खास ख्याल क्या होता है महसूस?
इस समय अचानक आंख खुलना, तेज पसीना आना, दिल की धड़कन तेज होना, हाथ-पैर ठंडे पड़ना आदि महसूस होता है। ‘मौत के टाइम’ से जुड़े रहस्यों के बारे में विज्ञान के दावे भी हैरान करने वाले हैं।
धर्म और विज्ञान दोनों सहमत
तथ्यों के आधार पर विज्ञान और धर्म दोनों करीब-करीब एक नतीजे पर पहुंचते दिखते हैं। यानी रात का तीसरा पहर। सुबह 3 से 4 का समय बेहद खतरनाक होता है। विज्ञान कहता है कि सुबह 3 बजे से 4 बजे तक अस्थमा के अटैक की संभावना 300 गुना बढ़ जाती है।
इस समय श्वसनतंत्र ज्यादा सिकुड़ जाता है। एंटी इंफ्लेमेट्री हार्मोंस का उत्सर्जन घट जाता है। रात के तीसरे पहर में ब्लडप्रेशर सबसे कम होता है।
डेविल्स ऑवर या डैड टाइम
कई पैरानॉर्मल रिसर्चर सुबह 3 बजे से 4 बजे के समय ‘डेविल्स ऑवर’ या ‘डैड टाइम’ भी कहकर बुलाते हैं। उनका मानना है कि इस समय शैतानी या भूतों की गतिविधियां सबसे ज्यादा होती हैं।
ज्यादातर लोग इसी समय में बुरे सपने भी देखते हैं और अक्सर उनकी नींद भी ‘मौत के टाइम’ यानी सुबह 3 से 4 बजे के बीच टूटती है।
ब्रह्ममुहूर्त
हिंदू धर्म में इसे ब्रह्ममुहूर्त कहा जाता है। शास्त्रों में कहा गया है कि इस समय की गई प्रार्थना हमेशा सफल होती है। शायद इसका एक कारण यह भी है कि शैतानी शक्तियों के प्रभाव से बचने के लिए इस समय मानव को ईश्वर की शरण में होना चाहिए, जिससे कि वह अपनी शक्ति को उस वक्त जागृत हो, जिस समय इंसानी शरीर सबसे कमजोर माना जाता है।
तांत्रिक साधना के लिए भी अहम
रात का तीसरा पहर तांत्रिक साधना के लिए भी काफी अहम माना गया है। वैज्ञानिकों के मुताबिक, 3 बजे के बाद मस्तिष्क जाग चुका है और शरीर शिथित होता है। दोनों की गति में सामंजस्य नहीं हो पाता है।
यह भी पढ़ें – घोड़ी के मौत का वारंट लेकर शहर-शहर घूम रहे अधिकारी, जानिए क्यों मची है खलबली