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जमीन के अंदर 2000 साल पुराना मंदिर और गुफाएं, खुदाई में दुर्लभ प्रतिमाएं मिलने का दावा

एक ऐसा भी स्थान है जहां हजारों साल प्राचीन मंदिर और गुफाएं जमीन के अंदर हैं, लोगों का दावा है कि यहां खुदाई करने पर कई दुर्लभ प्रतिमाएं निकल सकती है.

विदिशाDec 05, 2022 / 12:12 pm

Subodh Tripathi

जमीन के अंदर 2000 साल पुराना मंदिर और गुफाएं, खुदाई में दुर्लभ प्रतिमाएं मिलने का दावा

जमीन के अंदर 2000 साल पुराना मंदिर और गुफाएं, खुदाई में दुर्लभ प्रतिमाएं मिलने का दावा

विदिशा/आनंदपुर. मध्यप्रदेश में एक ऐसा भी स्थान है जहां हजारों साल प्राचीन मंदिर और गुफाएं जमीन के अंदर हैं, लोगों का दावा है कि यहां खुदाई करने पर कई दुर्लभ प्रतिमाएं निकल सकती है, लोगों का कहना है कि यहां जमीन के अंदर भी मकान के चिन्ह देखें गए हैं। ऐसे में ये स्थान प्राचीन धरोहरों से भरा हुआ है, लेकिन इस और किसी का ध्यान नहीं है।

यहां से करीब 7 किमी दूर सिंध नदी के किनारे ग्राम सुमेरपुर में है राम मोहल्ला। यह स्थल कई प्राचीन वैभव को समेटे हुए है, लेकिन पुरा महत्व के इस स्थान को बहुत कम ही लोग पहचानते हैं। यहां तक कि प्रशासनिक अधिकारी भी इस स्थल से अनजान बने हुए हैं जिससे इस स्थल का जीर्णोद्धार नहीं हो पा रहा है। यहां जमीन के अंदर गुफानुमा मंदिर बना हुआ है जिसे क्षेत्र के लोग काफी प्राचीन होना मानते हैं। कई गुफाएं व पुरा महत्व की अन्य धरोहर भी यहां होने की संभावनाएं हैं।

मंदिर के पुजारी लक्ष्मणदास महाराज ने बताया की यह स्थान प्राचीन संतस्थली रहा है। नदी के किनारे एकांत में साधु—संतों का निवास इस स्थान पर रहा है। रामजानकी का मंदिर है इसके नीचे एक प्राचीन मंदिर उसकी परिक्रमा बनी हुई है। नंदी, विष्णु चक्र आदि से प्रतीत होता है की यहां कभी विष्णु या शंकर भगवान के भी मंदिर होंगे, महंत ने बताया कि करीब 15 वर्ष पहले हमने नदी के पास जमीन पर प्लाऊ कराया था तो उसके नीचे पक्का मकान निकल आया था, जिसको उस समय के तत्कालीन कलेक्टर के कहने से रोक दिया था और पूर्व मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा ने भी इस स्थान पर पुरातत्व विभाग के अधिकारियों को भेजा था पर इसके बाद आज तक फिर कोई नही आया। उन्होंने बताया क पूर्व मंत्री ने एक भवन और 20 लाख के लगभग राशि से मंदिर परिसर में दालान आदि बनवाये थे। महंत ने बताया कि यहां उन्हें 44 वर्ष हो गए और इससे पहले रामजीवन दास महाराज रहते थे जिनका 127 वर्ष की आयु में गौलोक गमन हुआ था। उनका कहना है क अगर इस स्थान की खुदाई कराई जाए तो यह एक अति प्राचीन और खुदाई में दुर्लभ प्रतिमाएं मिल सकती हैं।

मूल मंदिर जमीन के अंदर

सरपंच बृजमोहन धाकड़ ने कहा की राममोहल्ला कब से है किसी को पता नही है,मूल मंदिर जमीन के अंदर है और गुफाएं आदि नदी तक है। पुराने लोग बताते हैं कि देवपुर तक गुफाएं बनी हुई थीं इस तरह से यह मंदिर आदि बने हैं वह किस शैली के हैं और कितने प्राचीन है यह पुरातत्व विभाग ही बता सकता है,ग्रामीण तो इसको 2 हजार वर्ष पहले का कहते हैं।


एक रात में बना था यहां मंदिर

संतोष शर्मा ने बताया की यह स्थान ग्राम सुमेरपुर है और मंदिर क्षेत्र को राममोहल्ला के नाम से जाना जाता है। पूर्वज बताते थे कि यह बहुत प्राचीन स्थान है एक रात में ही यह प्राचीन मंदिर को बनाया गया था। उन्होंने कहा कि सिंध नदी के किनारे इस प्राचीन स्थान की अनदेखी होती आई है। यह स्थान प्राचीन है और इसके आसपास जमीन के अंदर भी मकान के चिन्ह देखे गए हैं।


इस स्थान का अभी पता नही है, अगर कोई ऐसा स्थान है तो मैं पता करता हूं।

प्रवीण प्रजापति, एसडीएम सिंरोज
हमने लटेरी क्षेत्रों में ऐसे प्राचीन स्थानों पर जीर्णोद्धार कराए हैं। मैं वहां जाकर देखूंगा और अगर प्राचीन अवशेष आदि मिलते हैं तो इस स्थान का भी जीर्णोद्धार कराया जाएगा।

कुलदीप राय, उपयंत्री, मप्र राज्य पर्यटन विभाग

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