बता दें कि परिक्षेत्र के 600 से ज्यादा भवनों और मंदिर को जमीदोज करने की प्रक्रिया शुरू की गई है। जबरन हजारों साल से पूजित प्रतिमाओं को विखंडित कर दिया गया है और मंदिरों को जमीदोज कर दिया गया है। इसके लिए धरोहर बचाओ समिति पिछले करीब छह महीने से संघर्षरत है।
इस मामले को लेकर
ज्योतिष एवं शारदापठाधीश्वर शंकराचार्य स्वामी
स्वरूपानंद सरस्वती के शिष्य व श्री विद्यामंठ के प्रभारी स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद मुख्यमंत्री
योगी आदित्यनाथ को पत्र भेज चुके हैं लेकिन क्षेत्रीय नागरिकों की सुनी जा रही है न साधु-संतों की।
साधु-संतों ने राष्ट्रीय स्तर पर इस मुद्दे पर आंदोलन की रणनीति भी अख्तियार कर रखी है। धरोहर बचाओ समिति के आह्वान पर शनिवार को मंदिर परिक्षेत्र की एक भी दुकानें नहीं खुलीं । यहां तक कि शनिवार के दिन शनिदेव को एक दीपक तक नहीं जला। उधर बंदी का आलम यह रहा कि बाबा विश्वनाथ को एक बिल्वपत्र तक नहीं चढा पाए भक्त कारण माला-फूल तक की दुकानें बंद रहीं।
दरअसल शासन और प्रशासन की इस योजना के विरोध में धरोहर बचाओ संघर्ष समिति के साथ विश्वनाथ मंदिर व्यापार मंडल भी आ खड़ा हुआ शासन-प्रशासन की दमनकारी नीति के विरोध में खड़ा है। श्री काशी विश्वनाथ मंदिर से लगायत रेड जोन और येलो जोन में अवस्थित त्रिपुरा भैरवी, मीरघाट, धर्मकूप, लाहौरी टोला, सरस्वती फाटक, नीलकंठ से लेकर चौक क्षेत्र की गलियों में जबरदस्त ऐतिहासिक बंदी नजर आई। व्यापारियों से लेकर माला फूल और चाय पान तक के दुकानदारों ने अपनी दुकानों के ताले नही खोले ।
धरोहर बचाओ समिति ने मुख पर काली पट्टी बांध कर रैली भी निकाली जिसमें क्षेत्र के दुकानदार, भवनस्वामी भी शरीक हुए।