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बनारस में अभी मानसून का पता नहीं है यदि इस बार जमकर बारिश होती है और वरुणा नदी में बाढ़ आती है तो कॉरीडोर का डुबना तय है। ऐसे में सीवर जल से बने गड्ढे के चलते कॉरीडोर को बड़ा नुकसान उठाना पड़ सकता है। कॉरीडोर की स्थिति खराब होती जा रही है लेकिन किसी अधिकारी को परवाह नहीं है कि वहां के हालात जाने।
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वरुणा की दयनीय अवस्था पर एनजीटी बेहद सख्त है इसके बाद भी वहां की व्यवस्था नहीं बदल रही है। एनजीटी ने वरूणा नदी को प्रदूषण से मुक्त करने के लिए वहां पर एक लाख से अधिक पौधे लगाने को कहा है लेकिन अधिकारियों को इसकी भी परवाह नहीं है। वह कॉरीडोर का हाल जानने तक नहीं जाते हैं ऐसे में लोगों को वरूणा नदी की सेहत सुधरने की उम्मीद खत्म होने लगी है।
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सपा सरकार के तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने वरूणा कॉरीडोर की नींव रखी थी। 201 करोड़ रुपये से 10 किलोमीटर लम्बा कॉरीडोर बनना था इसमे नदी के दो किनारे पर पाथ वे, हरियाली, लाइटिंग आदि लगाये जाने थे। सपा सरकार में ही इस प्रोजेक्ट पर धांधली होने का आरोप लगा था। बाद में यूपी में सीएम योगी आदित्यनाथ की सारकार आयी तो प्रोजेक्ट में लापरवाही बरतने पर कई अधिकारियों को निलंबित किया गया था इसके बाद किसी तरह कॉरीडोर का काम पूरा करने का दावा किया है लेकिन अब सीवर के मलजल ने प्रोजेक्टर पर संकट के बादल मंडरा दिये हैं।
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