हम बात कर रहे हैं एसटीएफ के पूर्व डिप्टी एसपी शैलेन्द्र सिंह की। अपनी ईमानदारी व अपराधियों पर कहर बन कर टूटने वाले इस अधिकारी ने जीवन में बहुत उतार-चढ़ाव देखा है। डिप्टी एसपी के जिंदगी में तूफान वर्ष 2004 में आया था। जब एसटीएफ के डिप्टी एसपी शैलेन्द्र सिंह को मुखबिरों से सूचना मिली थी कि सेना का एक भगौड़ा एलएमजी लेकर भागा है और इसे बाहुबली मुख्तार अंसारी को बेचने की तैयारी है। इसके बाद शैलेन्द्र सिंह ने भगौड़े को पकडऩे का जाल बिछाया और पकड़ कर एलएमजी (लाइट मशीनगन) बरामद भी की। डिप्टी एसपी का दावा था कि एलएमजी मुख्तार अंसारी के पास से बरामद हुई थी। इसी आरोप के चलते मुख्तार अंसारी के खिलाफ पोटा के तहत मामला भी दर्ज कराया था। इसके बाद तो राजनीति में तूफान आ गया। यूपी में वर्ष 2004 में मुलायम सिंह यादव की सरकार थी। यूपी सरकार पर डिप्टी एसपी शैलेन्द्र सिंह पर मामले को दबाने के लिए दबाव डाला गया। डिप्टी एसपी जब इसके लिए तैयार नहीं हुए तो उनके उपर दबाव बढ़ता गया। अंत में निराश होकर डिप्टी एसपी शैलेन्द्र सिंह ने अपने पद से इस्तीफा दिया और प्रेस कांफ्रेंस करके मीडिया के सामने सच्चाई बतायी थी। इसके बाद एसटीएफ के पूर्व डिप्टी एसपी ने राजनीति में जाकर सिस्टम से लडऩे की तैयारी की थी।
यह भी पढ़े:-तेज बहादुर यादव के नामांकन करने से लेकर निरस्त होने की यह है पूरी कहानी कांग्रेस प्रत्याशी बन चंदौली लोकसभा सीट से लड़ा था चुनावशैलेन्द्र सिंह की कहानी मीडिया के जरिए लोगों तक पहुंच चुकी थी। नौकरी छोडऩे के बाद चंदौली निवासी शैलेन्द्र सिंह ने कांग्रेस का दामन थामा था और वर्ष 2009 में चंदौली लोकसभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ा था। शैलेन्द्र सिंह एक लाख से अधिक वोट पाने के बाद भी चुनाव हार गये थे। इसके बाद उन्होंने कांग्रेस से वर्ष 2012 में हुए विधानसभा में सैयदराजा सीट से भी चुनाव लड़ा था लेकिन किस्मत ने उनका साथ नहीं दिया था और फिर से चुनाव हार गये थे। वर्ष 2014 में शैलेन्द्र सिंह ने बीजेपी का दामन थाम लिया था और अब बीजेपी में ही है।
यह भी पढ़े:-शालिनी यादव ने तेज बहादुर यादव को बांधी राखी, कहा बहन की जीत के लिए लगा दूंगा पूरी ताकत एलएमजी प्रकरण में कोर्ट से मुख्तार अंसारी हो गये थे बरीएलएमजी प्रकरण में कोर्ट ने बाहुबली मुख्तार अंसारी को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया था। राजनीति में आने के बाद शैलेन्द्र सिंह पर राजनीतिक मुकदमे भी दर्ज हुए थे। कभी ईमानदारी व अपराधियों पर सख्ती करने वाला पुलिस अधिकारी अभी भी अपने नये मुकाम के लिए संघर्ष कर रहा है।
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