पूनम राय का जीवन दूसरों के लिए नजीर है। उन्हें जीवन में अपनों से ही बहुत कष्ट मिले थे। तकलीफ भरी जिंदगी भी उन्हें कमजोर नहीं कर पायी और हर कष्ट को उन्होंने अपनी ताकत बनायी। पूनम राय की 1996 में धूमधाम से शादी हुई थी लेकिन एक साल बाद ही ससुराल वालों ने दहेज की लालच में पूनम को तीन मंजिल उपर से फेंक दिया था। पूनम को गंभीर चोट लगी थी और स्पाईन सर्जरी के दौरान वह दिव्यांग भी हो गयी। इसके बाद जब कोमा से निकली तो हौसले की ताकत से ऐसा मुकाम बनाया कि सभी देखते रह गये। पीएम नरेन्द्र मोदी से प्रेरणा लेकर पूनम राय ने नारी सशक्तिकरण पर एक खास पेंटिंग बनायी थी। 11 दिनों में बनी इस पेंटिंग में कैनवास पर ही 648 महिलाओं की तस्वीर उकेरी थी जो विश्व रिकॉर्डबन गया था। इसके अतिरिक्त पूनम ने वर्ष 2018 में मनाली में मैराथन लांगेस्ट पेंटिंग का अवार्ड भी जीता था यहां पर आठ लोगों ने मिल कर तीन डिग्री तापमान में 50 फिट लंबे और पांच फिट चौड़े कैनवास पर तस्वीर बनायी थी।
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बेसहारा व गरीब बच्चों को देती है फाइन आर्ट्स व ताइक्वांडो की ट्रेनिंगपूनम राय ने अपना दूसरा जीवन बेसहारा व गरीब बच्चों को समर्पित किया हुआ है। पांडेयपुर के पास बी आर फाउंडेशन के नाम से संस्था चलाती है जहां पर वह गरीब व बेसहारा बच्चों को नि:शुल्क फाइन आर्ट्स व ताइक्वांडो की ट्रेनिंग देती है। खुद को फिट रखने के लिए योग करना भी नहीं भूलती है। पूनम की बेटी अपनी मां से प्रभावित है और मां का पूरा साथ देती है। पूनम के भाई भी उनके साथ खड़े रहते हैं उनका मानना है कि आज पूनम ने जो मुकाम पाया है वह सिर्फ अपने हौसले के बल पर मिला है।
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