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बनारस की पहचान काशी विश्वनाथ से है। अभी तक गलियो में काशी विश्वनाथ मंदिर था जिसके चलते यहां पर मंदिर को भव्य रुप नहीं दिया जा सकता था। पीएम मोदी की पहल पर प्रदेश सरकार ने मंदिर के आस-पास के क्षेत्र के महान को मुआवजा देकर अधिग्रहण किया था। हालांकि इसको लेकर कुछ राजनीति दलों व स्थानीय लोगों ने विरोध किया था उनका आरोप था कि शहर की पहचान मिटायी जा रही है। कुछ लोगों को विरोध काम नहीं आया और यहां पर ५० हजार वर्गमीटर के मकानों को सरकार ने हटा दिया है अब टेंडर जारी करके इस साल से निर्माण आरंभ कराने की तैयारी है। निर्माण पूरा होने के बाद गंगा व महाश्मशान से काशी विश्वनाथ कॉरीडोर सीधा जुड़ जायेगा। यहां पर बाबा से जुड़ी अनके चीजों का निर्माण होगा। एक बार काशी विश्वनाथ कॉरीडोर का निर्माण पूरा हो जाता है तो शहर की तस्वीर बदल जायेगी। देश व दुनिया से बाबा के दरबार में आने वाले भक्तों को दर्शन के दौरान सारी सुविधा मिलेगी। केन्द्र सरकार काशी विश्वनाथ कॉरीडोर को जल परिवहन से जोडऩे वाली है जिसके बाद धर्म नगरी बनारस में पर्यटन उद्योग को सबसे अधिक लाभ मिलेगा।
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