ओमप्रकाश राजभर ने कहा कि हम गरीब थे और गरीब हैं। जीवन भर गरीब रहना पसंद करेंगे। यूपी सरकार की कैबिनेट की बैठक एक घंटा होती है। जिसमे एक करोड़ रुपया खर्च होता है। मैंने इस पैसे को खर्च करने का विरोध किया। कहा कि एक करोड़ रुपये से पांच गांव का विकास होगा। शासन में प्रत्येक मंगल को कैबिनेट की बैठक होती है। माह में पांच बैठक हुई तो कुल पांच करोड़ रुपया खर्च हुआ। आम लोग पांच रुपये में चाय खरीद कर पीते हैं और मंत्रियों को एक दिन में 500 चाय नि:शुल्क मिलती है। खाने के लिए प्रतिदिन दो हजार, वाहन के लिए 250 लीटर डीजल, सुरक्षाकर्मियों पर अलग खर्च होता है। मैंने इन सब खर्चों का विरोध किया तो सरकार ने कैबिनेट मंत्री पद से हटा दिया। ओमप्रकाश राजभर ने कहा कि मंत्री व विधायक को साधारण सुविधा मिलनी चाहिए। बचे हुए पैसों को गरीबों पर खर्च करना से सभी का विकास होगा। अजगरा के सुभासपा के विधायक कैलाश सोनकर ने कहा कि अपनी निधि से दो करोड़ खर्च करने के लिए सड़क, नाली, पुलिया, हैंडपंप आदि का प्रस्ताव बनाकर सीडीओ को भेजा दिया हूं, लेकिन यहां के सांसद काम नहीं होने दे रहे हैं। सुभासपा के राष्ट्रीय महासचिव अरविंद राजभर ने कहा कि उपचुनाव में पार्टी का ग्राफ बढ़ा है और इसका असर यूपी चुनाव 2022 में दिखेगा।
यह भी पढ़े:-सिपाही की पत्नी ने एडीजी कार्यालय में खाया जहर, पुलिस प्रशासन में मचा हड़कंप यूपी में चुनाव में गठबंधन या फिर अकेले मैदान में उतरेगी सुभासपाबीजेपी व सुभासपा ने मिल कर यूपी चुनाव 2017 जीता था। अमित शाह ने खुद सुभासपा से बीजेपी का गठबंधन कराया था। उसके बाद सीएम योगी आदित्यनाथ सरकार व ओमप्रकाश राजभर के मतभेद इतने गहरे हुए कि गठबंधन खत्म हो गया। सुभासपा ने अखिलेश यादव की सपा व राहुल गांधी व प्रियंका गांधी की कांग्रेस से गठबंधन का प्रयास किया था लेकिन सफलता नहीं मिली। सुभासपा ने संसदीय चुनाव 2019 व यूपी उपचुनाव अकेले लड़ा था लेकिन जीत नहीं मिली। इसके बाद पार्टी अपनी ताकत बढ़ाने में जुटी है। कभी बसपा सुप्रीमो मायावती के खास माने जाने वाले ओमप्रकाश राजभर ने यह खुलासा नहीं किया है कि यूपी चुनाव 2022 अकेले या किसी दल के साथ गठबंधन करके लड़ेंगे।
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