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विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमी के चलते सभी सरकारी अस्पताल में आईसीयू व वेंटिलेटर तक की व्यवस्था नहीं है। कुछ जगहों पर एमबीबीएस किये चिकित्सकों को विशेष ट्रेनिंग देकर डायलिसिस करायी जा रही है। सरकार ने आऊटसोर्सिंग कर बाहरी चिकित्सकों से भी सेवा लेने की तैयारी की थी लेकिन यह योजना जमीन पर ठीक से नहीं उतर पायी। इसके चलते आम लोगों की सरकारी अस्पताल आम बीमारी के इलाज का साधन बना हुआ है। नये मेडिकल कॉलेज खुल जाने से स्वास्थ्य विभाग की नयी छवि लोगों के सामने आयेगी।
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.60 प्रतिशत केन्द्र व 40प्रतिशत राज्य सरकार देगी
.तीन संसदीय क्षेत्र में एक मेडिकल कॉलेज बनाने की योजना
.प्रदेश में कुल 27 नये मेडिकल कॉलेज खोलने की तैयारी है
.कैंसर, हृदय, किडनी रोग, गैस्ट्रालॉजी, न्यूरो सर्जन आदि विशेषज्ञ चिकित्सकों की भारी कमी है।
.डब्ल्यूएचओ के अनुसार एक हजार व्यक्ति पर एक चिकित्सक होना चाहिए
यूपी में 3700 मरीजों पर एक चिकित्सक है
.प्रदेश में सरकारी चिकित्सकों के कुल 18 हजार पद है, जहां पर लगभग आठ हजार चिकित्सक तैनात है और दस हजार पद खाली है।
.पहले चरण में पांच मेडिकल कॉलेज हुए थे पास
ललितपुर, कुशीनगर, अध्योध्या, बिजनौर व गोंडा
.दूसरे चरण में आठ मेडिकल कॉलेज हुए पास
लखीमपुर खीरी, चंदौली, बुलंदशहर, सोनभद्र, पीलीभीत, औरेया, कानपुर देहात व कौशांबी
.अमेठी मेडिकल कॉलेज का प्रस्ताव अभी अधर में लटका
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