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वाराणसी

252 साल पहले स्थापित हुई थी मां दुर्गा की अनोखी प्रतिमा, विसर्जन के लिए कोई मूर्ति को हिला भी नहीं पाया था

आज भी तेज ऐसा कि लोग देख कर रह जाये दंग, पुजारी के सपने में आकर आदि शक्ति ने यही रहने की कही थी बात

वाराणसीOct 04, 2019 / 04:08 pm

Devesh Singh

252 old ma Durga statue

252 old ma Durga statue

वाराणसी. प्रत्येक वर्ष नवरात्र में पंडाल सजाया जाता है और वहां पर मां दुर्गा की प्रतिमा स्थापित की जाती है। नवरात्र के बाद मां दुर्गा की मूर्ति का विर्सजन कर दिया जाता है। यह परम्परा सालों से चली आ रही है लेकिन बनारस में एक आदि शक्ति की एक ऐसी प्रतिमा है जिसकी कहानी सबसे अनोखी है। 252 साल पहले स्थापित मां की प्रतिमा को विर्सजन के लिए कोई हिला तक नहीं पाया था। मां ने पुजारी के सपने में आकर कहा था कि मैं काशी में रहना चाहती हूं।
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252 old ma Durga statue
IMAGE CREDIT: Patrika
मां ने कहा था कि मुझे कुछ नहीं चाहिए बस गुड़ व चना चढ़ाते रहना। इसके बाद मां की प्रतिमा को वही स्थापित कर दिया गया। रोज माता की पूजा होती है और नवरात्र में दर्शन करने के लिए भक्तों की कतार लगती है। प्रतिमा की सबसे बड़ी बात है कि हर साल उसका तेज बढ़ता जा रहा है और प्रतिमा को देख कर लगता है कि इसे अभी बनाया गया है। नवरात्र में यहां पर आने वाले माता से जो भी वर मांगते हैं मां उसकी इच्छा जरूर पूरी करते हैं।
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अंग्रेजों के शासनकाल में 1767 में स्थापित की गयी थी मां दुगा की प्रतिमा
मां दुर्गा की प्रतिमा स्थापना की कहानी भी बेहद दिलचस्प है। अंग्रेजों के शासनकाल में मुखर्जी परिवार पश्चिम बंगाल से आकर बनारस के मदनपुरा में बस गया था। परिवार ने अपने आवास पर नवरात्र के छठे दिन मां दुर्गा की एक प्रतिमा स्थापित करायी। महिषासुर का वध करती माता की प्रतिमा के साथ भगवान गणेश, माता लक्ष्मी, कार्तिकेय की भी प्रतिमा थी। परिवार ने कलश स्थापना करके मां की विधि-विधान से पूजा की। तीन दिन बाद जब विसर्जन का दिन आया तो सभी लोग प्रतिमा को उठाने के लिए वहां पर पहुंचे। लोगों ने सारी ताकत लगा दी लेकिन प्रतिमा अपने जगह से जरा भी नहीं हिली। काफी प्रयास करने के बाद भी लोगों को सफलता नहीं मिली। इसके बाद लोगों ने कहा कि किसी ब्राह्मण से पूछेंगे और फिर वैसा ही करेंगे। रात में मुखर्जी परिवार के सबसे बुजुर्ग सदस्य के सपने में मां आदि शक्ति आती है और कहती है कि वह काशी में वास करना चाहती है इसलिए प्रतिमा को नहीं हटाया जाये। बुजुर्ग ने कहा कि मां आपकी सेवा कैैसे करनी होगी। इस पर माता ने कहा कि मेरी एक बार आरती करना और चना व गुड को भोग लगाना। बाकी सारी व्यवस्था हो जायेगी। इसके बाद से 252 साल हो गये हैं। मां ने जैसा बताया था वैसे ही उनकी सेवा हो रही है। मां आदि शक्ति की ही महिमा है कि मिट्टी, सुतली, बांस और पुवाल की प्रतिमा आज भी सुरक्षित है और माता की प्रतिमा का लगातार तेज बढ़ता जा रहा है।
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