लोकसभा चुनाव 2019 में बीजेपी को प्रचंड बहुमत मिला है। यूपी की बात की जाये तो यहां पर बीजेपी अपना पुराना जादू नहीं दोहरा पायी है। वर्ष 2014 में बीजेपी ने यूपी की 80 संसदीय सीट में से अपना दल के साथ 73 सीट पर कब्जा किया था। बीजेपी ने अनुप्रिया पटेल की पार्टी अपना दल के साथ गठबंधन जारी रखते हुए लोकसभा चुनाव 2019 में यूपी की 64 सीटे जीती है। बीजेपी की सीटे पहले से कम हो गयी थी इसकी मुख्य वजह अखिलेश यादव व मायावती का मिल कर चुनाव लडऩा था। सपा व बसपा गठबंधन ने राहुल गांधी व प्रियंका गांधी की कांग्रेस को भी अपने साथ शामिल किया होता तो बीजेपी की सीटे और कम हो गयी होती। लेकिन सपा व बसपा ने ऐसा नहीं करके बीजेपी को बड़ी बढ़त लेने का मौका दे दिया था। बीजेपी पूर्व चुनाव की तुलना में कम सीटों पर विजय हासिल की थी लेकिन इतने बड़े महागठबंधन को हराया था इसलिए कम सीटे मिलने के बाद भी बीजेपी की जीत को बड़ा माना गया था अब तो बसपा सुप्रीमो मायावती ने सपा से गठबंधन तोड़ कर अकेले चुनाव लडऩे का ऐलान कर दिया है। कांग्रेस ने भी किसी दल से गठबंधन करने की बात नहीं कही है ऐसे में यूपी में उपचुनाव व यूपी विधानसभा 2022 में चार दल मैदान में होंगे। वोटों का बंटवारा हुआ तो सीधा लाभ बीजेपी को मिलेगा।
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पूर्वांचल में लगभग १२५ विधानसभा सीटे हैं जो दल इन सीटों पर सबसे अच्छा प्रदर्शन करता है वही लखनऊ की सत्ता पर काबिज हो पाता है। सपा व बसपा के बाद बीजेपी ने यूपी चुनाव 2017 में पूर्वांचल की 70 से अधिक सीटों पर चुनाव जीता था इसलिए सीएम योगी आदित्यनाथ को सूबे की कमान मिली थी। बीजेपी ने पूर्वांचल पर अपना विशेष जोर लगाया है। विपक्षी दलों की एकता खत्म हो चुकी है सभी दल अकेले चुनाव लडऩे को तैयार है। सबसे पहले यूपी की 11 सीटों पर उपचुनाव होंगे। बीजेपी के कैडर वोटर उसके पास रहते हैं तो विपक्षी दलों का बिखराव होने से बीजेपी की राह आसान हो जायेगी। बसपा सुप्रीमो मायावती ने अकेले चुनाव लडऩे का जो निर्णय किया है उसका सबसे अधिक लाभ बीजेपी को मिल सकता है।
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