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मऊ ब्लास्ट की जिम्मेदारी एटीएस को दी गयी है। इस तरह की घटना की जांच एटीएस को देना भी बड़ा सवाल खड़ा करता है एक तरफ जिला प्रशासन का दावा है कि सिलेंडर ब्लास्ट से दो मंजिला मकान जमीदोज हुआ था जिसमे 13 लोगों की मौत हो गयी थी और 22 लोग घायल हो गये थे। शासन का उद्देश्य एटीएस को लगाने के पीछे उन कारणों का पता करना है, जिससे इतना बड़ा हादसा हुआ है। शासन यह पता करना चाहती है कि मकान में सिलेंडर से ही ब्लास्ट हुआ है या फिर वहा कुछ और होता था।
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सिलेंडर फटने से किसी की मौत होती है या वह घायल हो जाता है तो पीडि़त या उसके परिजनों को मुआवजा दिया जाता है। बीमा कंपनी ने मऊ प्रकरण को लेकर सर्वे शुरू कर दिया है और सिलेंडर ब्लास्ट से मौत होने की पुष्टि हो जाती है तो लोगों को मुआवजा मिलेगा। एसपीसीएल गहनता से सारे मामले की जांच में जुटी है। कंपनी के अधिकारी ने बताया कि गैस सिलेंडर की रि-फिलिंग के पहले तिमाही जांच की जाती है।
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एक तरफ तो सिलेंडर ब्लास्ट का दावा किया जा रहा है तो दूसरी तरफ मलबे में अभी तक सिलेंडर के टुकड़े नहीं मिलने से जांच उलझ गयी है। सिलेंडर का टुकड़ा मलबे में खो गया है या फिर वहां नहीं है। बैंक अधिकारी का बयान व सिलेंडर का टुकड़ा अभी तक नहीं मिलना यह संकेत देता है कि जो दावा किया जा रहा है वह पुख्ता नहीं है।
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