चौबेपुर थाना क्षेत्र के निवासी संतोष 20 साल पहले परिवार की बेहतरी के लिए मुम्बई कमाने चले गये थे। गांव में उनकी जमीन थी लेकिन मुम्बई जाते ही ग्राम प्रधान व अन्य लोगों ने कागज पर संतोष को मृत दिखाते हुए जमीन पर कब्जा कर लिया। संतोष को जब इस बात की जानकारी मिली तो उन्होंने खुद को जिंदा करने की लड़ाई शुरू की। संतोष का कहना है कि २० साल में वह जितना अपने घर पर नहीं रहे होंगे। उससे अधिक कोर्ट व थानों का चक्कर काटा है। खुद को जिंदा करने के लिए विधानसभा से लेकर लोकसभा चुनाव तक का नामांकन किया है। अपनी हक की लड़ाई लड़ते हुए संतोष थक तो गये थे लेकिन उनका हौसला नहीं टूटा था। बनारस के जिलाधिकारी सुरेन्द्र सिंह के संज्ञान में जब संतोष का मामला आया तो उन्होंने मामले की गंभीरता को देखते हुए अधिकारियों से प्रकरण की फिर से जांच करायी। जांच में पता चला कि संतोष की बात सही थी और उसे कागज पर मृत दिखाते हुए उसकी जमीन पर कब्जा किया गया था इसके बाद जिलाधिकारी ने संतोष को उनका हक दिलाया। 20 साल तक लड़ाई लडऩे वाले संतोष अभी लड़ाई जीतने की खुशी भी नहीं मना पाये थे कि विरोधियों ने बड़ी साजिश रच डाली।
यह भी पढ़े:-थानाध्यक्ष के काम की मुरीद थी जनता, हुआ तबादला तो लिपट कर रो पड़े लोग जिंदा हुए संतोष, पर जाना होगा जेलसंतोष का आरोप है कि जब से उन्हें हक मिला है तभी से गांव के कुछ लोग बेहद परेशान है यह वही लोग हैं जिन्होंने संतोष को मृत घोषित करके जमीन पर कब्जा कर लिया था। संतोष का आरोप है कि उसके उपर फर्जी तरीके से एससी-एसटी एक्ट का मुकदमा दर्ज कराया गया है। इस बाबत उसने जिलाधिकारी से गुहार लगायी है जिस पर डीएम ने मामले की जांच कराने का आश्वासन दिया है। संतोष ने कहा कि २० अगस्त को पुलिस उसे गिरफ्तार कर लेगी। उसके पास इतना पैसा भी नहीं है कि वह अपनी गिरफ्तारी रोकवा पाये। रोते हुए संतोष ने कहा कि एक लड़ाई जीती तो दूसरे में फंसा दिया गया। आखिर एक आम इंसान कैसे इतनी लड़ाई लड़े।
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