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पश्चिम बंगाल में 42 संसदीय सीट है, जबकि यूपी में कुल 80 संसदीय सीट है। बसपा सुप्रीमो मायावती को सपा से गठबंधन के बाद 38 सीट मिली है और ममता बनर्जी अकेले चुनाव लड़ती है तो कुल 42 सीटों पर प्रत्याशी उतारेंगे। लोकसभा चुनाव 2014 में गुजरात के तत्कालीन सीएम नरेन्द्र मोदी की लहर में भी ममता बनर्जी ने 42 में से 34 सीट पर जीती है जबकि कांग्रेस को चार, बीजेपी व लेफ्ट पार्टी को दो-दो सीट मिली थी। ममता बनर्जी इस लोकसभा चुनाव में भी इस जादू को दोहराना चाहती है। यदि ममता बनर्जी को मायावती से अधिक सीट पर जीत मिल जाती है तो पीएम पद पर दावेदारी तगड़ी हो जायेगी। पीएम नरेन्द्र मोदी के खिलाफ सीधा मोर्चा खोल करके ममता बनर्जी ने दिखा दिया है कि वह विपक्ष की सबसे बड़ी नेता बन सकती है जो पीएम मोदी से सीधा लड़ाई लड़ सकती है।
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सपा व बसपा ने गठबंधन में कांग्रेस को शामिल नहीं किया है। इसकी मुख्य वजह है कि बसपा सुप्रीमो नहीं चाहती थी उनके गठबंधन की ताकत से राहुल गांधी मजबूत हो और फिर पीएम पद पर अपनी दावेदारी करे। ऐसे में ममता बनर्जी ने सीबीआई मुद्दे पर जिस तरह से मोर्चा खोला है और विपक्ष के अन्य नेताओं का समर्थन मिला है उससे साफ हो जाता है कि महागठबंधन में ममता बनर्जी बड़ी नेता बन सकती है इसके लिए तुणमूल कांग्रेस को पश्चिम बंगाल में अधिक से अधिक संसदीय सीट जीतनी होगी।
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