जब बच्चे अक्सर अपनी पढ़ाई लिखाई और ज्ञान विज्ञान के लिए जाने जाते हैं तब 14 साल की उम्र में ही धनजंय सिंह पर एक शिक्षक नके हत्या का आरोप लग गया था। यहीं से ये नाम सुर्ख़ियो में आ गया। इंटर में पहुँचे तो क्रिकेट के शौकीन इस किशोर पर एक युवक की हत्या का आरोप लगा।
जिस समय युवक के हत्या के आरोप में धनंजय की गिरफ्तारी हुई वो 12वीं में थे। परीक्षा के तीन पेपर रह गए थे। सिकरारा थाना इलाके के एक इंटर कॉलेज में पचासों बंदूकधारी पुलिसकर्मियों की तैनाती के बीच इनकी परीक्षा कराई जाती थी। क्योंकि परीक्षा का इलाका राजपूतों के गढ़ में था ऐसा माना जाता था कि धनंजय सिंह कभी भी भाग सकते हैं।
धनंजय को जमानत मिली इंटर पास करते ही जिले के टीडी कॉलेज में दाखिला लिया। पर यहां भी अपने तेवर के मुताबिक कुछ ही दिन में छात्र राजनीति में दबदबा बनाना चाहा। घर वालों को जानकारी हुई तो बड़े भाई ने इन्हें जौनपुर से हटाकर लखनऊ यूनिवर्सिटी पढ़ने भेज दिया। स्नातक में दाखिला लेने के बाद एक के बाद एक कारनामें कर प्रदेश की राजधानी में अपने नाम का बड़ा खौफ जमा दिया। स्नातक होते होते धनंजय पर कई थानों मसान दर्जन भर से अधिक मामले दर्ज ही गए।
साल तकरीबन 1998-99 एक हत्या के मामले के बाद धनंजय सिंह फरार हो गये। पुलिस ने इनपर इनाम घोषित कर दिया। इसी समय भदोही जिले के औराई में सीओ आख़िलानन्द मिश्रा को खबर लगी की सरोई पुलिया के पास ढाबे पर धनंजय चाय पी रहा है। पुलिस टीम ने एक पुलिस एनकाउंटर चार युवकों को मार दिया। मारे गए एक युवक का नाम भी धनंजय था। सीओ ने दावा किया की अपराधी धनंजय सिंह को मार गिराया। जबकि असल में ये धनंजय सिंह नहीं कोई बेगुनाह युवक मारा गया था। कुछ दिन बाद धनंजय ने आत्मसमर्पण किया औऱ सीओ आख़िलानन्द सस्पेंड कर दिए गए।
2002 में रारी विधानसभा से निर्दल विधायक बने। 2007 का भी चुनाव जीत लिया। 2009 में बसपा के टिकट पर जौनपुर लोकसभा सीट से सांसद बने। मल्हनी सीट पर उपचुनाव हुए तो अपने पिता राजदेव को बसपा के टिकट पर विधासभा का चुनाव जिताया। 2014 में जौनपुर से फिर लड़े भाजपा लहर में हार मिली। 2017 में मल्हनी विधानसभा से लड़े सपा के पारसनाथ से हार गए।
बागपत जेल में दुर्दान्त अपराधी मुन्ना बजरंगी की हत्या के बाद उनकी पत्नी ने धनंजय पर हत्या की साजिश का आरोप लगाया। हालांकि इसमें भी आरोप साबित नहीं हुआ। अब फिर धनंजय की गिरफ्तारी प्रदेश में चर्चा बनी है।