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वाराणसी

काशी के शहनाई वादक दुर्गा प्रसन्ना राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा में बजाएंगे मंगलध्वनि

अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा में अब कुछ ही दिन शेष हैं। ऐसे में तैयारियां जोरों पर है। काशी के मूर्धन्य आचार्य जहां प्राण प्रतिष्ठा सम्पन्न कराएंगे। वहीं इस प्राण प्रतिष्ठा का मुहूर्त भी काशी के प्रकांड विद्वान गणेश्वरशास्त्री द्रविड ने निकाला है। ऐसे में अब बनारस संगीत घराने के प्रसिद्ध शहनाई वादक को प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शहनाई पर मंगल ध्वनि बजाने का न्योता मिला है।

वाराणसीJan 03, 2024 / 12:35 pm

SAIYED FAIZ

Varanasi Durga Prasanna Shahanai Ram Mandir Pran Pratishtha

रामलला विराजमान की घड़ी आई, काशी के दुर्गा प्रसन्ना बजाएंगे शहनाई

वाराणसी। धर्म की नगरी काशी के बनारस संगीत घराने को लगातार देश और विदेश में सम्मान और मान दिया जा रहा है। इसी क्रम में आगामी 22 जनवरी को होने वाले राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह बनारस घराने के शहनाई पुरोधा दुर्गा प्रसन्ना को आमंत्रित किया गया है। उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र, प्रयागराज उन्हें फोन द्वारा यह सूचना दी गई। दुर्गा प्रसन्ना का परिवार पीढ़ियों से शाहनाई की विधा में अपनी छाप छोड़ रहा है। patrika.com ने उनसे इस संबंध में बातचीत की है। पेश है इस बातचीत के मुख्य अंश….
बहुत खुशी है कि राम दरबार में लगेगी प्रथम दिन हाजिरी
काशी के शहनाई पुरोधा खजरान शास्त्री जी के पोते और सहतीराम शास्त्री के पुत्र दुर्गा प्रसन्ना से पत्रिका ने बात की तो उन्होंने कहा कि ‘उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र, प्रयागराज से कल फोन आया और बताया गया कि आप को श्रीराम लला की प्राण प्रतिष्ठा में शहनाई वादन करना है। इस संबंध में अभी कोई लिखित आमंत्रण नहीं मिला है, लेकिन इस आमंत्रण के बाद रोम-रोम पुलकित हो उठा है। श्रीराम की प्राण प्रतिष्ठा में पहुंचना ही बहुत बड़ी बात है और उनके 500 वर्षों के वनवास के बाद मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा के समय मंगलध्वनि बजाना सुखद अनुभूति होगी।

विदेशों में भी है इस घराने की धमक
शहनाई वादक दुर्गा प्रसन्ना ने बताया कि उनके दादा खजरान शास्त्री और पिता सहतीराम प्रसन्ना भी शहनाई वादक थे और शहनाई का ये हुनर उन्होंने हमें भी दिया। 7 साल की उम्र से दुर्गा शहनाई पर राग छेड़ रहे हैं। उन्होंने बताया कि पिता ने हमें शुरू से ही शहनाई में फूंक मारने और राग की ट्रेनिंग दी जिसे हमने जवानी तक आते-आते पूर्ण रूप से आत्मसात कर लिया और शहनाई वादन के लिए पूरे भारत सहित पूरे विश्व में जा चुके हैं।
गुम नहीं हो रही शहनाई

जब दुर्गा प्रसाद प्रसन्ना से पूछा गया कि शहनाई के उस्ताद भारत रत्न बिस्मल्लाह खां के जाने के बाद क्या शहनाई गुम हो गई है तो उन्होंने इसे सिरे से नकार दिया। उन्होंने कहा कि संगीत में सबसे कठिन साज शहनाई है। यह बैलेंसिंग, फूंक और पत्ती पर डिपेंड करता है। इसलिए इसे ज्यादा लोग नहीं अपना रहे हैं, लेकिन जो पुराण शहनाई वादक है उनके घर के लोग शहनाई पर महारथ हासिल कर रहे हैं।
https://youtu.be/ArDdkKFsdXk

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