शास्त्रीय विधान के तहत फाल्गुन शुक्ल पूर्णिमा की रात में होलिक दहन का प्रवाधन है। खास ये कि प्रदोष व्यापिनी पूर्णिमा में भद्रा रहित रात्रि का मान होता है। काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास के न्यासी पं. दीपक मालवीय बताते हैं कि फाल्गुन शुक्ल पूर्णिमा 17 मार्च गुरुवार की दोपहर 1:03 बजे लग रही है और इसका मान 18 मार्च शुक्रवार की दोपहर 12:52 बजे तक रहेगा। पंडित मालवीय बताते हैं कि 17 मार्च की रात 12.57 बजे भद्रा है। वो बतात हैं कि भद्रा के चलते होलिका दहन भद्रारहित पूर्णिमा तिथि में रात्रि 12:57 बजे के बाद किया जाएगा।
वो बताते हैं कि धर्म शास्त्र के अनुसार होलिका दहन के बाद सूर्योदय काल व्यापिनी चैत्र कृष्ण प्रतिपदा में रंगोत्सव मनाया जाना चाहिए लेकिन इस साल प्रतिपदा 18 मार्च को दोपहर 12:53 बजे लग रही है जो 19 मार्च को दोपहर तक है। ऐसे में चैत्र कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा उदया तिथि में 19 मार्च को ही मिल रही है। लिहाजा देश भर में 19 मार्च को ही होली मनाई जाएगी।
लेकिन काशी में चतुषष्ठी यात्रा (चौसठ योगिनी परिक्रमा यात्रा) की परंपरा है। इसके तहत प्राचीन काल से होलिका दहन की अगली सुबह इस यात्रा की मान्यता है। ऐसे में होलिका दहन की अगली सुबह कोई भी तिथि हो, काशी में होली उसी दिन मनाई जाती है। लिहाजा काशी में 18 मार्च को होली मनाई जाएगी। इससे इतर अन्य स्थानों पर शास्त्रीय मान्यता के तहत उदया तिथि में चैत्र कृष्ण प्रतिपदा मिलने पर 19 मार्च को होली खेली जाएगी।