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चंदौली के बलुआ थाना क्षेत्र के सिकरौरा में लगभग 33 साल पहले हुए नरसंहार में सात लोगों की मौत हुई थी। वादिनी श्रीमती हीरावती देवी के पति व तत्कालीन प्रधान रामचंदर यादव, उनके भाई सहित पांच बच्चों की गोलियों से भून कर हत्या कर दी गयी थी इस हत्याकांड में शामिल होने का आरोप बृजेश सिंह पर भी लगा था। सिकरौरा नरसंहार में ९ लोग लोअर कोर्ट से बरी हो चुके हैं, जिनके खिलाफ हाईकोर्ट में सुनवाई होनी है। बृजेश सिंह उस समय फरार थे इसलिए अन्य आरोपी के साथ चल रही सुनवाई में उन्हें शामिल नहीं किया गया था। बाद में जब बृजेश सिंह पकड़ाये हैं तो हाईकोर्ट के आदेश पर स्थानीय अदालत में लगातार इस प्रकरण पर सुनवाई चल रही है। एक विधवा औरत ने अभी तक हिम्मत नहीं हारी है पहले बृजेश सिंह ने खुद को घटना के समय नाबालिग बताया था, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया था। माफिया से एमएलसी बने बृजेश सिंह के लिए यही मामला गले की हड्डी बना हुआ है यदि इस मामले में बृजेश सिंह बरी हो जाते हैं तो जेल से बाहर आने का रास्ता साफ हो जायेगा।
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