अपने काम निपटा कर जब इंद्रकला अपनी आठ साल की बेटी स्वीटी के साथ बिस्तर पर गई। वो सांप की मौजूदगी से अनभिज्ञ थीं। जैसे ही इंद्रकला बिस्तर पर बैठी सांप ने स्वीटी को भी डस लिया। इंद्रकला अपनी बेटी को बचाने की नाकाम कोशिश की। इस दौरान सांप ने कई बार इंद्रकला पर भी हमला किया। इंद्रकला की शोर सुनकर बाबूलाल और घर के अन्य सदस्य वहां पहुंचे। घर वालों के कमरे में आते ही सांप कहीं छिप गया।
इलाज के लिए दो बार रेफर किया
परिजन और ग्रामीण मां, बेटी व बेटा को लेकर 100 शय्या अस्पताल पहुंचे। यहां से डॉक्टर ने जौनपुर रिफर कर दिया। इसके बाद परिजन तीनों को लेकर जौनपुर पहुंचे। जौनपुर में बच्चों की बिगड़ती हालत को देखते हुए डॉक्टरों ने वाराणसी रिफर कर दिया। परिजन तीनों को लेकर वाराणसी पहुंचे। इस दरमियान रविवार की सुबह एक वर्षीय बच्चे विराट की मौत हो गयी। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक स्वीटी की भी मौत हो गयी है और इंद्रकला की हालत गंभीर बताई जा रही है। भुगतान न होने के कारण शव देने से किया मना
अपनी और अपने बच्चो की जिन्दगी के जद्दोजहद में जुटी एक मां अपनी जंग हार गयी। पहली बार हारी जब उसने अपने बच्चे को सर्प दंश से बचा नहीं पायी और दूसरी बार हारी पूंजीवाद के उस भक्षक से जिसने ममता और मानवता को जमींदोज कर दिया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक हॉस्पिटल के पैसे के भुगतान ना होने पर हॉस्पिटल ने विराट का शव देने से मना कर दिया। जब परिजनों ने पूरे पैसे दिए तब जाकर विराट का शव घर लाया गया। पिता राज शेखर के आने के बाद अंतिम संस्कार किया गया।