मंगलवार को बनारस के सबसे बड़े हनुमान मंदिर ‘संकटमोचन मंदिर’ से श्रद्घालुओं का हुजूम गायब था। सुबह 05.30 बजे आरती के बाद खुल जाने वाला मंदिर का कपाट नाइट कर्फ्यू के प्रतिबंध की वजह से सुबह सात बजे खोला गया। कोरोना नेगेटिव रिपोर्ट दिखाने पर गिनती के लोग दर्शन-पूजन के लिये मंदिर में गए। जिनके पास रिपोर्ट नहीं थी वो बाहर से ही मत्था टेककर वापस चले गए। 10.30 बजे भाेग के लिये मंदिर बंद हुआ और फिर 11.20 से 12.15 और तीन बजे से रात आठ बजे तक खुला। इस दौरान धर्मसंघ और भिखारीपुर से निकलने वाले विशाल शोभायात्रा की जगह समिति के दो लोग छोटी ध्वजा लेकर पहुंचे और प्रतिकात्मक रूप से परंपरा का निर्वाह किया।
धर्मसंघ से निकलने वाले जुलूस के आयोजकों में से एक सुरेश तुलस्यान ने बताया कि लाल लंगोटा लाल निशान जय बजरंगी जय हनुमान के जयकारे के साथ हर साल हनुमान जयंती पर भव्य हनुमान ध्वजा यात्रा निकलती है। पर यह दूसरा साल है जब शोभायात्रा नहीं निकली है। उन्होंने बताया कि धर्मसंघ से हनुमान ध्वजा प्रभातफेरी समिति वाराणसी द्वारा शहरी क्षेत्र और भिखरीपुर से भी एक भव्य ध्वजा यात्रा निकलती है, जिसमें रथ, पालकी और भव्य झांकियां होती हैं। इनमें हुजुम उमड़ता है। उन्होंने बताया कि इस बार हमने हनुमान ध्वजा यात्रा को स्थगित कर ऑनलाइन हनुमान जन्मोत्सव का आयोजन किया है।
प्रतिबंधों को देखते हुए हनुमान जयंती के ऑनालाइन आयोजन किये गए। हनुमान जयंती से जुड़ा सबसे बड़ा आयोजन छह दिवसीय संकटमोचन संगीत समारोह इस बार ऑलाइन के साथ ऑफलाइन भी होगा पर उसमें सिर्फ 50 लोग श्रोता के रूप में मौजूर रह पाएंगे। महंत पं. विश्वंभरनाथ मिश्र ने बताया कि पिछली बार से अलग इस बार मंदिर परिसर में एक से छह मई तक संगीत समारोह का आयोजन कोविड प्रोटोकाॅल और गाइडलाइन को पूरा करते हुए होगा। दो स्थानीय कलाकार प्रस्तुतियां देंगे। इसमें 50 ऐसे श्रोता भी होंगे। कालाकारों और श्रोताओं के लिये तीन दिन पुराना आरटीपीसीआर नेगेटिव रिपोर्ट जरूरी होगी। बताया कि इसके लिये वार्ता जारी है।
काशी की परंपराओं के जानकार साहित्यकार अत्रि भारद्वाज बताते हैं कि हनुमान जी संगीत प्रेमी और संगीत ज्ञाता थे। इसीलिये उनकी जयंती पर संगीत समारोह आयोजित किया जाता है। धार्मिक अनुष्ठान विशेष होता है। दो से तीन दिन की भजन संध्या, फिर छह दिनों तक संकटमोचन संगीत समारोह होता है। पूरी रात संगीत प्रेमी संगीत की स्वरलहरियों के साथ डूबते उतराते रहते हैं। पर पिछले दो साल से सब सूना है। उन्होंने बताया कि पं. भीमसेन जोशी, जयराज, हरी प्रसाद चौरसिया, राजन साजन, गुलाम अली जैसे देश-विदेश के ख्यातिलब्ध संगीत कलाकार इसका हिस्सा बन चुके हैं।