scriptज्ञानवापी प्रकरणः मां शृंगार गौरी केस की पोषणीयता पर सुनवाई दोपहर बाद दो बजे से | Gyanvapi Case Hearing on maintainability of Maa Shringar Gauri case from 2 pm | Patrika News
वाराणसी

ज्ञानवापी प्रकरणः मां शृंगार गौरी केस की पोषणीयता पर सुनवाई दोपहर बाद दो बजे से

ज्ञानवापी प्रकरण में मां शृंगार गौरी मामले की पोषणीयता पर जिला जज की अदालत में मंगलवार को दोपह दो बजे से होगी सुनवाई। सोमवार को वादिनी राखी सिंह की तरफ से शिवम गौड़,अनुपम द्विवेदी,मानबहादुर सिंह ने जोरदार ढंग से दलीलें पेश की थीं। अदालत को बताया था कि क्यों इस केस में प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट और वक्फ एक्ट या किसी अन्य एक्ट लागू नहीं होता।

वाराणसीJul 19, 2022 / 10:10 am

Ajay Chaturvedi

वाराणसी जिला एवं सत्र न्यायालय मुख्य द्वार

वाराणसी जिला एवं सत्र न्यायालय मुख्य द्वार

वाराणसी. ज्ञानवापी प्रकरण में मां शृंगार गौरी मुकदमे की पोषणीयता पर सुनवाई मंगलवार को जारी रहेगी। जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत में सोमवार को दो घंटे तक हिंदू पक्ष यानी दिल्ली की राखी सिंह के अधिवक्ता अधिवक्ता शिवम गौड़, अनुपम द्विवेदी और मानबहादुर सिंह ने अपनी दलील पेश की। सुप्रीम कोर्ट के कई उद्धरण पेश करते हुए उन्होंने ये बताने की कोशिश की कि आखिर क्यों ये केस सुनवाई योग्य है और क्यों इस केस में क्यों इस केस में प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट और वक्फ एक्ट या किसी अन्य एक्ट लागू नहीं होता।
ज्ञानवापी की किसी जमीन पर नहीं, दावा सिर्फ मां शृंगार गौरी के नियमित दर्शन-पूजन का

उन्होंने कहा कि देश की आजादी के दिन से लेकर वर्ष 1993 तक मां शृंगार गौरी की नियमित पूजा होती रही। वहां का धार्मिक स्वरूप सनातन धर्म का ही था। लेकिन 1993 में सरकार ने अचानक बैरिकेडिंग लगा कर नियमित दर्शन और पूजा बंद करावा दिया। ऐसे में प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट और वक्फ एक्ट या किसी अन्य एक्ट के प्रावधान मां शृंगार गौरी प्रकरण में लागू नहीं होता हैं। उन्होंने कहा कि हमारा ज्ञानवापी की किसी जमीन पर कोई दावा नहीं है। हमारा दावा सिर्फ मां शृंगार गौरी के नियमित दर्शन और पूजा के लिए है। अदालत ने शिवम गौड़ को बहस जारी रखने की अनुमति देते हुए सुनवाई की अगली तिथि 19 जुलाई नियत कर दी है।
अंजुमन और दूसरा हिंदू पक्ष अपनी दलील कर चुका है पूरी

बता दें कि इससे पहले मुस्लिम पक्ष यह दावा कर चुका है कि मां शृंगार गौरी का मुकदमा किसी भी तरह से सुनवाई योग्य नहीं है। वहीं, हिंदू पक्ष की चार वादिनी सीता साहू, मंजू व्यास, लक्ष्मी देवी और रेखा पाठक के अधिवक्ता यह दावा कर चुके हैं कि मुकदमा हर हाल में सुनवाई योग्य है।

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