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वाराणसी

Durga Puja 2019- काशी, कोलकाता में तब्दील, पंडालों के विविध रूपों में कहीं इसरो तो कहीं चंद्रमा के होंगे दीदार

-Durga Puja 2019-पूजा पंडालों में बांग्ला परंपरा के तहत अधिवास, कल्पारंभ और नवपत्रिका पूजन -देवी प्रतिमाओं को पहनाए गए आभूषण-देर रात शस्त्र कराए जाएंगे धारण-सप्तमी की सुबह से शुरू हो जाएगा दर्शन-पूजन-तरह-तरह के पूजा पंडालों में आई बहार

वाराणसीOct 04, 2019 / 08:06 pm

Ajay Chaturvedi

भारत सेवा श्रम संघ में विराजी मां की प्रतिमा

भारत सेवा श्रम संघ में विराजी मां की प्रतिमा

वाराणसी. Durga Puja 2019 की धूम मच चुकी है। काशी, कोलकाता में तब्दील हो चुका है। जगह-जगह पूजा पंडाल सज गए हैं। पूजा पंडालो में देवी प्रतिमा स्थापित कर दी गई हैं। अब सप्तमी यानी शनिवार से दर्शन-पूजन का सिलसिला शुरू हो जाएगा जो दशमी तक चलेगा।
शारदीय नवारत्र की षष्ठी तिथि को सभी पूजा पंडाल दुर्गा प्रतिमाएं पहुंची तो संध्या बेला में बांग्ला परंपरा के तहत अधिवास, कल्पारंभ और नवपत्रिका पूजन की प्रक्रिया पूरी की गई। केले के खंभे के नीचे पूजन कर माता को आमंत्रण निवेदित किया गया। उसके बाद माता को नव वस्त्र के साथ आभूषण अर्पित किए गए। अब देर रात शस्त्र अर्पित किए जाएंगे।
हर बार की तरह इस बार भी शहर भर में तरह-तरह का पूजा पंडाल बनाए गए हैं। इस बार भी कई प्रयोग किये गए हैं। कहीं चंद्रयान दिखाई देगा तो कहीं पूरा इसरो ही देखने को मिलेगा। इस बार नो प्लास्टिक का संदेश भी फैलेगा। शहर में पर्यावरण संरक्षण, अन्न बचाओ से लेकर बाहुबली का महल, प्राचीन और नवीन मंदिरों की अनुकृतियां दुर्गोत्सव की विविधता बढ़ाएंगी। जय मातादी स्पोर्टिंग क्लब, अर्दली बाजार का पूजा पंडाल अन्नपूर्णा मंदिर की अनुकृति में दिखेगा। वहीं भारत सेवा श्रम संग व ईगल क्लब में परंपरागत प्रतिमा के ही दर्शन होंगे।
सनातन धर्म इंटर कॉलेज परिसर का पूजा पंडाल
IMAGE CREDIT: पत्रिका
सबसे ज्यादा भीड़ खींचने वाले हथुआ मार्केट के प्रीमियर ब्वायज क्लब का पूजा पंडाल इस बार भी आकर्षण का केंद्र होगा। पंडाल को सोमनाथ मंदिर की अनुकृति के रूप में सजाया गया है। बंगाल के कारीगण गणेश दा के नेतृत्व में दिन-रात काम किया गया। थर्मोकोल की कटाई, पंडाल में लगाए जाने वाले पुतलों की रंगाई, मुख्य मंच की सज्जा से लेकर शिखर पर मिट्टी के कलश लगाया गया।
नई सड़क पर स्थित श्रीदुर्गा पूजा समिति सनातनधर्म के पूजा पंडाल में इस बार नौ फुट ऊंची देवी दुर्गा की प्रतिमा अचानक खड़ी हो जाएगी। खड़े होते ही यह दुर्गा प्रतिमा 16 फुट ऊंची मां काली के स्वरूप में परिवर्तित हो जाएगी। हर बार की तरह इस बार भी यहां सारी गतिविधियां इलेक्ट्रानिक शो के माध्यम से होंगी। पूरा कथानक पांच मिनट 11 सेकेंड में दिखाया जाएगा। बंगाल के कारीगर देवी प्रतिमा को पूजा पंडाल में ही आकार देने में जुटे हैं। यहां का पंडाल भी आकर्षक होगा। इसे फिल्म बाहुबली के राज महल का स्वरूप प्रदान किया गया है।
समिति के कार्यवाहक अध्यक्ष सूरज जासवाल ने बताया कि पूर्वाचल की दुर्गा पूजा में यह पहला अवसर है जब देवी दुर्गा की प्रतिमा का आकार बदलेगा। बैठी मुद्रा में प्रतिमा खड़ी होकर काली रूप में महिषासुर का वध करेंगी। पूरा कथानक पांच मिनट 11 सेकेंड में दिखाया जाएगा। समिति के संस्थापक महासचिव मुकेश जायसवाल के अनुसार पंडाल के बाहरी स्वरूप को बाहुबली फिल्म के राज महल का स्वरूप प्रदान किया गया है।
मां दुर्गा
आकर्षक पंडाल और प्रतिमाओं को लेकर चर्चा में रहने वाली जैतपुरा की मां बागेश्वरी दुर्गा पूजा समिति में भी इस वर्ष इसरो और चंद्रयान पर आधारित पूजा पंडाल बना रहा है। कोलकाता से आए कारीगर पंडाल को इसरो का स्वरूप दिया है। 85 फीट ऊंचे और 40 फीट चौड़े पूजा पंडाल में इसरो कार्यालय, चंद्रयान-2 और 2021 में लांच होने वाले चंद्रयान-3 देखने को मिलेगा। इसके अलावा मां दुर्गा के साथ सभी प्रतिमाओं को ईंट और बालू से बनाया गया है।
अर्दली बाजार में की न्यू डिलाइट क्लब दुर्गा पूजा समिति का पंडाल अंतरिक्ष की सैर भी कराएगा। जहां देवी विराजेंगी वहां चंद्रमा की झलक मिलेगी। लगभग 80 फीट ऊंचे पूजा पंडाल को चंद्रयान-2 का रूप दिया गया है। पंडाल के अंदर अंतरिक्ष जैसा माहौल देखने को मिलेगा। कोलकाता से आए दो दर्जन कारीगर दिलीप दा के नेतृत्व में पंडाल को अंतिम रूप दिया। क्लब के अध्यक्ष मनोज कुमार अच्चू के अनुसार 43वें साल में भी पहले की तरह पूजनोत्सव तीन दिनी होगा। दशमी पर भंडारा से समापन किया जाएगा। पंडाल में सुरक्षा व्यवस्था के लिहाज से एक दर्जन सीसीटीवी लगाए जाएंगे और वालेंटियर तैनात किए जाएंगे।
देवी प्रतिमा की भव्यता और पूजन परंपरा के लिए चर्चित जंगमबाड़ी स्थित ईगल क्लब के स्वर्ण जयंती वर्ष पर देवी प्रतिमा भी गोल्डेन थीम पर स्थापित होगी। देवी को धारण कराया गया सोला का साज कई मायनों में खास है। देवी के सिर पर मुकुट के स्थान पर टोपोर धारण कराया जाएगा। दो फुट से अधिक लंबे टोपोर को बनारस में डिजाइन किया गया। इसे बंगाल के कारीगरों द्वारा आकृति प्रदान की गई। देवी द्वारा धारण किए गए गहनें भी बनारस में ही डिजाइन किए गए हैं।
ईगल क्लब के वरिष्ठ सदस्य रवि पाल के अनुसार स्वर्ण जयंती वर्ष के उपलक्ष्य में पूजा पंडाल में विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया है। इसके अंतर्गत चित्रकला, शंखध्वनि, एक मिनट, धुनुची नृत्य प्रतियोगिता प्रमुख हैं। पंचमी तिथि पर आमंत्रण के साथ ही पूजा पंडाल में सांस्कृतिक अनुष्ठानों का क्रम भी आरंभ हो गया। सायंकाल सात बजे प्रख्यात गायिका सुचरिता गुप्ता ने माता की सुराराधना की।

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