ये भी पढ़ें- यूपी में 3613 कोरोना संक्रमित, केवल मई माह में हुई 40 मौतें, इन जिलों में आए नए मामले सामने बात है वर्ष 2014 की जब देश में लोकसभा चुनाव थे। गाजीपुर में मुख्तार अंसारी का भी सिक्का चलता था। मुख्तार की पारिवारिक पार्टी कौमी एकता दल ने डीपी यादव से गठबंधन किया और उन्हें 2014 में गाजीपुर लोकसभा से उम्मीदवार बनाया दिया। पश्चिम यूपी के बाहुबली डीपी यादव किसी भी कीमत पर चुनाव जीतना चाहते थे। जीत सुनिश्चत करने के लिए कौएद व अन्य छोटे दलों से डीपी यादव की पार्टी राष्ट्रीय परिवर्तन दल ने गठबंधन किया था। डीपी यादव को विश्वास था कि बाहुबली मुख्तार अंसारी का साथ गाजीपुर में मिलने से जीत पक्की होगी, लेकिन पूर्वांचल के जनता ने ऐसा होने नहीं दिया। और बता दिया कि यहां पर डीपी यादव का सिक्का नहीं चलता है।
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इस चुनाव में जनता ने जो किया उससे डीपी और मुख्तार दोंनो को झटका लगा था। बीजेपी के मनोज सिन्हा को 3,06,929 व सपा की शिवकन्या कुशवाहा को 2,74,477 वोट मिले थे। इसके बाद बसपा के कैलाश नाथ सिंह यादव का नम्बर आता है जिन्हें 2,41,645 मत प्राप्त हुए थे। चौथे स्थान पर पश्चिम यूपी के बाहुबली डीपी यादव थे जिन्हें 59,510 वोटों से ही संतोष करना पड़ा था।
पानी की तरह बहाया था पैसा-
गाजीपुर संसदीय सीट पर चुनाव लड़ते समय डीपी यादव ने जमकर चुनाव प्रचार किया था। डीपी ने यहां पानी की तरह पैसा बहाया गया था। चुनाव से पहले डीपी यादव ने ऐसा माहौल बना दिया था, जिससे लगने लगा था कि डीपी यादव अब चुनाव जीत जायेंगे। लेकिन जनता ने यहां बाहुबली को उल्टे पैर भेज दिया था।