वास्तु शास्त्र के अनुसार पूजा वाले मंदिर में एक ही देवता की दो तरह की मूर्तियां नहीं रखनी चाहिए। ऐसा रखने से घर में कलेश व झगड़ा बढ़ता है और आपस में तनाव बना रहता है। यदि आपके घर में एक ही भगवान की दो मूर्तियां हैं तो दोनों को आमने सामने रखें।
कई बार लोग घरों में टूटी हुई मूर्ति को रखते हैं। जिसके पीछे उनकी आस्था या किसी की गहरी भावना जुड़ी हुई होती है। लेकिन वास्तु शास्त्र के अनुसार खंडित मूर्तियों के दर्शन और पूजा का कोई भी फल नहीं मिलता है। अपितु अपशगुन होने की संभावना भी रहती है। एैसी खंडित मूर्तियों को किसी पेड़ के नीच रख देना चाहिए।
मंदिर में किसी भी ऐसी मूर्ति या देवता के दर्शन नहीं करने चाहिए जिसमें वे युद्ध कर रहे हों। वास्तु के अनुसार इससे इंसान का स्वभाव गुस्से वाला और हिंसका बनता है।
मूर्तियों के मुख शांत और हाथ आशीर्वाद देने की मुद्रा में होना चाहिए। उदास व गंभीर मुद्रा वाली मूर्तियां आपके उपर गलत असर डालती है। जिस वजह से आपके अंदर नकारात्मकता आती है।
वास्तु शास्त्र के अनुसार भगवान की पीठ दिखना शुभ नहीं होता है। कई बार हम मंदिर में मूर्तियों को इस तरह से रखते हैं जिससे एक तरफ से उनकी पीठ दिख रही होती है।