scriptGyanvapi Masjid Case : ज्ञानवापी मस्जिद के भविष्‍य पर फैसला कल, पूजन के अधिकार के लिए महिलाओं ने दिए थे ये 10 महत्वपूर्ण तथ्य | Decision on the future of Gyanvapi Masjid 10 important facts were given by women for the right to worship | Patrika News
वाराणसी

Gyanvapi Masjid Case : ज्ञानवापी मस्जिद के भविष्‍य पर फैसला कल, पूजन के अधिकार के लिए महिलाओं ने दिए थे ये 10 महत्वपूर्ण तथ्य

Gyanvapi Masjid Case : ज्ञानवापी-शृंगार गौरी प्रकरण में कल यानी 12 सितंबर को बनारस की अदालत महत्वपूर्ण निर्णय सुनाने जा रही है। इस फैसले के बाद ही ज्ञानवापी मामले का भविष्य तय हो सकेगा। अदालत यह फैसला सुनाएगी कि मुकदमा सुनने योग्य है या फिर नहीं।

वाराणसीSep 11, 2022 / 03:20 pm

lokesh verma

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Gyanvapi Masjid Case : देश के इतिहास के लिए आज 12 सितंबर 2022 की तारीख बड़ी महत्वपूर्ण होने जा रही है, क्योंकि आज के दिन बनारस कोर्ट ज्ञानवापी मस्जिद प्रकरण मेंं अहम फैसला सुनाएगा। कोर्ट के फैसले के बाद ही यह तय होगा कि ज्ञानवापी मंंदिर-मस्जिद विवाद का भविष्य टिका है। बता दें कि इस प्रकरण में 5 महिलाओं की तरफ से दाखिल प्रार्थना पत्र के माध्यम सेे इतिहास और पुराणों के तथ्य पेश करते हुए पूजन-दर्शन का अधिकार मांगा गया था।
बनारस कोर्ट सोमवार को ज्ञानवापी-शृंगार गौरी केस में महिलाओं के प्रार्थना पत्र पर ये फैसला सुनाएगा कि मुकदमा सुनने योग्य है या फिर नहीं। महिलाओं ने अदालत में पुराणों के साथ मंदिर के इतिहास से लेकर उसकी संचरना का जिक्र करते हुए ज्ञानवापी परिसर स्थित शृंगार गौरी और विग्रहों को 1991 की तरह नियमित पूजन-पूजन के लिए सौंपने और सुरक्षित रखने की मांग की है। बता दें कि इलाहाबाद हाईकोर्ट से लेकर सर्वोच्च न्यायालय तक कई दावे किए गए। साथ ही कहा गया कि 16वीं सदी में औरंगजेब ने काशी विश्वनाथ मंदिर गिराकर ज्ञानवापी मस्जिद बनवाई थी।
1. दशाश्वमेध घाट के पास आदिशेश्वर ज्योतिर्लिंग का भव्य मंदिर था, जिसकी स्थापना त्रेता युग में भगवान शिव ने की थी। वर्तमान में ज्ञानवापी परिसर में इसकी प्लाट संख्या 9130 है।

2. प्राचीन मंदिर परिसर में भगवान गणेश, मां श्रृंगार गौरी, हनुमान जी, नंदी जी के अलावा दृश्य और अदृश्य देवता हैं।
3. 1193-94 के बाद कई बार मुस्लिम आक्रमणकारियों ने प्राचीन मंदिर को नुकसान पहुंचाया। इसकेे बाद हिंदुओं ने उसी स्थान पर मंदिर पुनर्स्थापित किया था।

4. 1585 में जौनपुर के तत्कालीन राज्यपाल राजा टोडरमल ने उसी स्थान पर भगवान शिव के भव्य मंदिर का निर्माण कराया था।
5. 1669 ईस्वी में औरंगजेब ने मंदिर ध्वस्त करने के आदेश दिए थे। भगवान आदि विशेश्वर के प्राचीन मंदिर को उस दौरान आंशिक रूप से तोड़ा गया, जिसके बाद ज्ञानवापी मस्जिद नामक एक नया निर्माण किया गया।
6. बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के प्रोफेसर और प्रमुख डॉ. एएस अल्टेकर की पुस्तक ‘हिस्ट्री ऑफ बनारस’ में भी मुस्लिम द्वारा प्राचीनकाल में किए गए निर्माण की प्रकृति का वर्णन है।

7. औरंगजेब ने मस्जिद निर्माण के लिए कोई वक्फ नहीं बनाया था। इसलिए मुस्लिम किसी धार्मिक कार्य के लिए उक्त भूमि का इस्तेमाल नहीं कर सकते।
8. कथित ज्ञानवापी मस्जिद की पश्चिमी दीवार के पीछे प्राचीन श्रृंगार गौरी की छवि है, जिनकी लगातार पूजा-अर्चना होती है।

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9. 1936 में दीन मोहम्मद ने ज्ञानवापी को लेकर दाखिल मुकदमे में पैमाइस के बाद एक बीघा 9 बिस्वा 6 धूर भूमि बताई। इस मुकदमे के गवाहों ने भी देवताओं की छवियां उसी स्थान पर होने केे साथ दैनिक पूजन करने को साबित कर दिया है।
10. मां श्रृंगार गौरी की पूजा-अर्चना को प्रतिबंधित करने का कोई लिखित आदेश नहींं पारित हुआ है।

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