पिछले दस साल में हुआ ये सुधार
1- जन्म के समय लिंगानुपात में सुधार (एसआरबी): साल 2014-15 में एसआरबी 918 था जो कि साल 2022-23 में बढ़कर 933 हो गया। 2- माध्यमिक शिक्षा में लड़कियों के नामांकन में वृद्धि: माध्यमिक शिक्षा में लड़कियों के नामांकन में वृद्धि बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ के शैक्षिक प्रयास के सकारात्मक प्रभाव को दर्शाता है। 2014-15 में 75.51 प्रतिशत से बढ़कर 2021-22 में 79. 4 प्रतिशत हो गया।
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना में है कई योजना
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ (बीबीबीपी) योजना में कई योजनाएं हैं जिनका उद्देश्य लड़कियों और महिलाओं के जीवन को बेहतर बनाना है। इन योजनाओं में शामिल हैं: 1- सुकन्या समृद्धि योजना (SSY): 10 वर्ष से कम आयु की लड़कियों के माता-पिता के लिए एक बचत योजना है। बच्ची के माता-पिता 15 वर्ष तक खाते में पैसा जमा कर सकते हैं। इस खाते पर ब्याज मिलता है और माता-पिता को कर लाभ मिलता है। लड़की की उम्र 18 वर्ष की होने पर पैसे निकाले जा सकते है।
2- बालिका समृद्धि योजना: एक ऐसी योजना जिसका उद्देश्य लड़कियों के जीवन को बेहतर बनाना है। इस योजना के तहत, गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले परिवारों की बेटियों को जन्म के बाद 500 रुपये की राशि दी जाती है।
3- धन लक्ष्मी योजना: इस योजना के अंतर्गत बालिका का जन्म पंजीकरण, टीकाकरण, शिक्षा और 18 वर्ष की आयु के बाद ही विवाह किए जाने पर 1 लाख रुपए की बीमा राशि दिए जाने का प्रावधान है।
भारत में हर घंटे महिलाओं के खिलाफ 51 मामले दर्ज होते है
आज हम बेटी बचाओ और बेटी पढ़ाओ के साथ महिला सशक्तिकरण की कितनी ही बात कर ले लेकिन जमीनी स्तर पर हालत विपरीत नजर आती है। साल 2024 में जारी एनसीआरबी रिपोर्ट के मुताबिक भारत में हर घंटे NCRB ने 2022 में महिलाओं के खिलाफ अपराध के 4,45,256 मामलों का खुलासा किया, जो हर घंटे लगभग 51 एफआईआर के बराबर है। यह 2021 की तुलना में उल्लेखनीय वृद्धि दर्शाता है, जिसमें 4,28,278 मामले दर्ज किए गए थे और 2020 में 3,71,503 मामले दर्ज किए गए थे। एनसीआरबी के रिपोर्ट से पता चलता है कि प्रति लाख जनसंख्या पर अपराध दर 66.4 है तथा ऐसे मामलों में आरोप पत्र दाखिल करने की दर 75.8 है।
कांग्रेस अध्यक्ष ने केंद्र सरकार पर साधा निशाना
बेटी बचाओ बेटी पढाओ के दस साल पूरे होने पर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने केंद्र सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने एक्स पर पोस्ट करते हुए तीन सवाल पूछे है… बेटी बचाओ के दस साल, मोदी जी से हमारे तीन सवाल — 1- बेटी बचाओ” की जगह “अपराधी बचाओ” की नीति भाजपा ने क्यों अपनाई? 2- क्यों देश में हर घंटे महिलाओं के ख़िलाफ़ 43 अपराध रिकॉर्ड होते हैं? 3- क्या कारण है कि 2019 तक “बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ” योजना के लिए आवंटित कुल धनराशि का क़रीब 80% केवल मीडिया-विज्ञापन में ख़र्च हुआ?
जब संसदीय स्थायी समिति ने ये तथ्य उजागर किया, तब इस योजना में इस्तेमाल किये गए फंड में 2018-19 के बीच 2022-23, 63% की भारी कटौती की गई, और बाद में इसको “मिशन शक्ति” के अंतर्गत “संबल” नामक स्कीम में merge कर के, “बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ” योजना पर खर्च किये आँकड़े ही मोदी सरकार ने देने बंद कर दिए। “संबल” के 2023-24 के आवंटित फंड और उपयोग किये गए फंड में भी 30% की कटौती हुई है। ये आँकड़ों की हेराफ़ेरी क्या छिपाने के लिए की गई? पिछले 11 वर्षों में मोदी सरकार ने महिला एवं बल विकास मंत्रालय पर ख़र्च हुआ बजट, पूरे बजट के खर्च की तुलना में आधा क्यों कर दिया?