बता दें कि मऊ सदर के तत्कालीन विधायक बाहुबली मुख्तार अंसारी पर 15 जुलाई 2001 को हमा हुआ था जब वो अपने विधानसभा क्षेत्र में जा रहे थे। बृजेश पर आरोप रहा कि दोपहर के 12:30 बजे गाजीपुर के मुहम्मदाबाद इलाके की उसरी चट्टी में उनके काफिले पर जानलेवा हमला किया गया। इसमें मुख्तार के गनर सहित तीन साथी मारे गए थे जबकि 9 अन्य घायल हुए थे। उस वारदात के बाद मुख्तार अंसारी ने बृजेश सिंह और त्रिभुवन सिंह को नामजद करते हुए 15 अज्ञात लोगों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कराया था। उसके बाद पुलिस ने कोर्ट में चार आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया जिसमें दो की ट्रायल के दौरान मौत हो चुकी है।
चौबेपुर थाना के धौरहरा गांव के मूल निवासी बृजेश के पिता रवींद्र नाथ सिंह उर्फ भुल्लन सिंह की जमीन संबंधी विवाद में हत्या के बाद बृजेश ने बदला लेने के इरादे से घर छोड़ दिया था। उसके बाद 28 मई 1985 को धौरहरा के हरिहर सिंह हत्याकांड में पहली बार बृजेश का नाम अपराध जगत में शुमार हुआ। तब इस मामले में बृजेश के खिलाफ चौबेपुर थाने में केस दर्ज हुआ था। उसके बाद यूपी, बिहार, झारखंड, महाराष्ट्र, गुजरात, दिल्ली, पश्चिम बंगाल और ओडिशा के अलग-अलग थानों में बृजेश के खिलाफ 41 मुकदमे दर्ज हुए। तकरीबन 23 साल बाद 24 फरवरी 2008 को बृजेश सिंह को ओडिशा के भुवनेश्वर से गिरफ्तार कर वाराणसी लाया गया।
बृजेश सिंह के अधिवक्ता सूरज सिंह के मुताबिक बृजेश सिंह पर सिर्फ 3 केस में ट्रायल में है। दो प्रकरण में पहले ही उन्हें जमानत मिल चुकी है। सिर्फ यही एक मुकदमा था, जिसमें जमानत नहीं मिली थी।