रंगभरी एकादशी पर सोमवार को काशीपुराधिपति बाबा विश्वनाथ के पूजन शुरू हो गया। काशी विश्वनाथ के साथ मां गौरा की चल प्रतिमा का पंचगव्य व पंचामृत स्नान कराया गया। फिर हुआ दुग्धाभिषेक। पंडित वाचस्पति तिवारी और संजीव रत्न मिश्र ने दुग्धाभिषेक की प्रक्रिया संपन्न कराई। इस दौरान सुबह 5 बजे 11 ब्राह्मणों ने षोडषोपचार विधि से पूजन शुरू किया, जो आठ बजे तक चला। फलाहार का भोग लगाया गया और हुई महा आरती। महाआरती के बाद बाबा विश्वनाथ और मां पार्वती के दर्शन-पूजन का सिलसिला शुरू हो गया। यह क्रम शाम 5 बजे तक चलेगा। इस बीच दोपहर बाद एक से तीन बजे तक डमरू वादन होगा। शाम 5 बजे बाबा विश्वनाथ, मां पार्वती और माता की गोद में बैठे प्रथमेश श्री गणेश को नवीन रजत सिंहासन जो 350 साल बाद कश्मीर की अखरोट व चिनार की लकड़ी से तैयार किया गया है पर विराजमान कर निकलेगी गौना बारात। काशीपुराधिपति अपनी नगरी काशी के लोगों संग होली खेल कर नेग स्वरूप उन्हें होली खेलने की इजाजत देंगे।
इससे पूर्व रविवार शाम गौरा का गौना कराने बाबा विश्वनाथ के ससुराल आगमन पर पं.सुनील त्रिपाठी के अचार्यत्व में बाबा का अभिषेक हुआ। साथ ही वैदिक सूक्तों का घनपाठ किया गया। काशी विश्वनाथ मंदिर के महंत डॉ कुलपति तिवारी के सानिध्य में विविध अनुष्ठान हुए। बाबा विश्वनाथ व माता पार्वती की गोदी में प्रथम पूज्य गणेश की रजत प्रतिमाओं को एक साथ सिंहासन पर विराजमान कराया गया। पूजन-आरती कर भोग लगाया गया। पहले डमरुओं की गर्जना हुई फिर महिलाओं और नगर के कलाकारों ने मंगल कामनाओं से परिपूर्ण पारंपरिक गीत लोकनृत्य से ससुराल पहुचे काशी पुराधिपति का स्वागत हुआ। मंहत आवास गौने के बधाई गीतों से गुंजायमान हो उठा।
बाबा विश्वनाथ की गौना बारात शाम 5 बजे टेढीनीम स्थित महंत आवास से निकलेगी जो काशी विश्वनाथ मंदिर तक जाएगी। इससे पूर्व महंत आवास पर दिन के 10.30-11 बजे के बीच शुरू होगा शिवांजलि कार्यक्रम। शिवांजलि संगीत समारोह के मुख्य आकर्षण होंगे सुचरिता गुप्ता व पंडित अशोक पांडेय। इसके साथ ही महेंद्र प्रसन्ना का शहनाई वादन होगा। हैदराबाद के श्रीवल्लभ, जयपुर के भजन गायक मोहन स्वामी, रुद्रनाथ बैंड के मुख्य गायक अमित त्रिवेदी, आराधना सिंह, सरोज वर्मा, पुनीत ‘पागल बाबा’, संजय दुबे आदि भजन प्रस्तुत करेंगे।