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अखिलेश यादव के नेतृत्व में सपा को तीन चुनाव में हार मिल चुकी है। सपा को राहुल गांधी व प्रियंका गांधी की कांग्रेस व बसपा का गठबंधन भी काम नहीं आया था। मुलायम सिंह यादव की राजनीति में सक्रियता कम होने व शिवपाल यादव के अलग पार्टी बनाने से सपा को बड़ा नुकसान हुआ है। सपा से यादव वोटर दूर होने लगे थे और अन्य पिछड़ा वर्ग के वोटर बीजेपी से जुड़ गये। इसके चलते पिछड़े वर्ग की राजनीति करने वाली सपा कमजोर हो गयी थी लेकिन अखिलेश यादव ने सही समय पर पुष्पेन्द्र यादव एनकाउंटर को मुद्दा बना कर अपने कैडर वोटरों पर पकड़ मजबूत की है। साथ ही अन्य पिछड़ा वर्ग के लोगों को भी साधने का प्रयास किया है, जिनका मानना है कि यूपी सरकार में उनके हितों की अनदेखी हो रही है।
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अखिलेश यादव के नये प्लान से बसपा में भी हड़कंप मच गया है। बसपा सुप्रीमो मायावती जानती है कि उन्हें यूपी की सत्ता में वापसी करनी है तो दलितों के साथ ओबीसी वोटरों को भी जोडऩा होगा। बीजेपी ने अन्य पिछड़ा वर्ग के वोटरों को अपने साथ जोड़ा है लेकिन अभी तक यादव वोट बैंक में बड़ी सेंधमारी नहीं कर पायी है ऐसे में बीजेपी से नाराज यादव वोटरों पर बसपा की भी नजर है। पुष्पेन्द्र यादव एनकाउंटर के बाद अखिलेश यादव ने विरोध शुरू किया है जिससे बसपा को भी सीएम योगी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलना पड़ा है और बसमा सुप्रीमो मायावती ने यूपी में जंगलराज होने का बयान तक दे दिया।
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पीएम नरेन्द्र मोदी की लहर में बीजेपी ने यूपी की सत्ता पर कब्जा किया था। यूपी को क्राइम मुक्त करने के वायदे से सत्ता में आयी बीजेपी इस समय बैकफुट पर आ गयी है। सीएम योगी आदित्यनाथ सरकार यूपी में अपराध नहीं रोक पा रही है। ऐसे में सपा का हमला बीजेपी के लिए परेशानी का सबब बन सकता है। सपा चाहती है कि यूपी सरकार की छवि पिछड़ा वर्ग के साथ भेदभाव करने वाली बन जाती है तो बीजेपी का बड़ा वोट बैंक खिसक जायेगा। यदि ऐसा हुआ तो बीजेपी को तगड़ा झटका लगना तय है।
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