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फीडिंग डिमोंस्ट्रेटर विदिशा शर्मा ने बताया कि कुपोषित बच्चों को तीन श्रेणी में बांटा गया है। पहले और दूसरे श्रेणी के कुपोषित बच्चों को न्यूट्रीशयन व माता-पिता की काउंसलिंग करके छोड़ दिया जाता है। जबकि तीसरे व चौथे श्रेणी के कुपोषित बच्चों को यहां पर 14 दिन भर्ती करके पोषण दिया जाता है। भर्ती बच्चों में विभिन्न बीमारियों की जांच के साथ कम से कम छह बार दूध, खिचड़ी, हलवा दिया जाता है।
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अस्पताल की ओपीडी में आने वाले बच्चों की आयु के अनुसार उनके वजन की जांच की जाती है यदि वजन मानक से कम होता है तो कुपोषण की स्थिति का पता कर इलाज किया जाता है। इसके अतिरिक्त आरबीएसके की टीम गांव-गांव में जाकर बच्चों के स्वास्थ्य की जांच करती है यदि बच्चा कुपोषित मिला तो उसे केन्द्र में रेफर किया जाता है। आंगनबाड़ी व आशा कार्यकर्ती के माध्यम से भी गांव-गांव में कुपोषित बच्चों का पता कर उसे अस्पताल लाया जाता है।
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