इस बदलाव से जहां बच्चों को बेहतर पोषण मिलेगा, वहीं किसानों को बाजरा, मूंगफली, और चना जैसी फसलों की बढ़ती मांग से सीधा लाभ मिलेगा। इससे किसानों की आमदनी में बढ़ोतरी होगी और खेतीबाड़ी का विविधिकरण होगा।
बाजरा, मूंगफली, और चना के फायदे
सरकार ने जिन खाद्य पदार्थों को बच्चों के पोषण के लिए चुना है, उनमें पोषक तत्वों की भरपूर मात्रा है: बाजरा: आयरन का उत्कृष्ट स्रोत है। प्रति 100 ग्राम बाजरे में लगभग 4-5 मिलीग्राम आयरन होता है। इसमें फाइबर और प्रोटीन की भी अच्छी मात्रा होती है।
मूंगफली: प्रोटीन का उत्कृष्ट स्रोत, जिसमें 25% प्रोटीन और 50% फैट होता है। मूंगफली में विटामिन ई, मैग्नीशियम, पोटैशियम और आयरन भी होते हैं।
चना: 19% प्रोटीन, 10% फाइबर और महत्वपूर्ण पोषक तत्वों से भरपूर। यह बच्चों की मांसपेशियों के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
रामदाना: इसमें 20% प्रोटीन होता है और फाइबर, फैट, विटामिन बी6 और अन्य आवश्यक पोषक तत्व होते हैं।
इस पहल से यह सुनिश्चित किया जाएगा कि बच्चों को हर सप्ताह पौष्टिक आहार मिले, जो उनकी शारीरिक और मानसिक विकास के लिए महत्वपूर्ण है।
किसानों की बल्ले-बल्ले: बढ़ेगी फसलों की मांग
योगी सरकार के इस फैसले का सबसे बड़ा फायदा उन किसानों को होगा जो बाजरा, मूंगफली, चना और गुड़ जैसी फसलों का उत्पादन करते हैं। जैसे ही इन अनाजों और खाद्य पदार्थों की मांग बढ़ेगी, इनकी कीमतों में भी वृद्धि होने की संभावना है। किसानों की आय में यह वृद्धि उन्हें और अधिक मात्रा में इन फसलों को उगाने के लिए प्रेरित करेगी, जिससे प्रदेश की कृषि अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिलेगी। खासतौर पर बाजरा और मूंगफली जैसी फसलों के दाम बढ़ने से छोटे और मझोले किसानों को लाभ होगा।
पोषण सुरक्षा और आयरन की जरूरत
पोषण विशेषज्ञों के अनुसार, भारतीय समाज में खासकर महिलाओं और बच्चों में आयरन की कमी आम बात है। अपोलो अस्पताल की वरिष्ठ स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉक्टर तृप्ति दूबे के अनुसार, आयरन की कमी से एनीमिया जैसी समस्याएं होती हैं, जो किशोर लड़कियों और गर्भवती महिलाओं में काफी देखने को मिलती हैं। योगी सरकार ने इस समस्या का समाधान बाजरे और मूंगफली जैसे खाद्य पदार्थों को मध्यान्ह भोजन में शामिल कर के किया है। इससे बच्चों में आयरन और प्रोटीन की कमी को दूर किया जा सकेगा, जिससे उनकी शारीरिक और मानसिक विकास में मदद मिलेगी।
भविष्य की पीढ़ी के लिए मजबूत कदम
यह पहल न केवल बच्चों के पोषण में सुधार करेगी, बल्कि यह किसानों की आय को भी बढ़ावा देगी। सरकार द्वारा इस कार्यक्रम पर 95 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे, जिसमें केंद्र सरकार 57 करोड़ और राज्य सरकार 38 करोड़ रुपये का योगदान देगी। इस तरह का निर्णय न केवल राज्य के किसानों के लिए फायदेमंद साबित होगा, बल्कि इससे बच्चों के पोषण स्तर में भी वृद्धि होगी।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ?
पोषण विशेषज्ञों का मानना है कि योगी सरकार का यह कदम बच्चों की पोषण स्थिति में सुधार लाने के लिए मील का पत्थर साबित होगा। साथ ही, इससे किसानों को उनकी फसलों के उचित मूल्य मिलेंगे, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार होगा। डॉक्टरों के अनुसार, बाजरा, चना, मूंगफली जैसे अनाज और खाद्य पदार्थ न केवल प्रोटीन और आयरन के अच्छे स्रोत हैं, बल्कि यह बच्चों की सेहत को भी सकारात्मक रूप से प्रभावित करेंगे।